
प्यार बचाओ (Save Love)
जैसा कि शीर्षक से ही नया और थोड़ा अटपटा लग रहा होगा। लेकिन ये मेरा कल्पना (धर्म युग की कल्पना में) है लेकिन भविष्य में ये सच भी होगा। इसको पढ़कर लोग मुझे पागल और मूर्ख ही समझेगें। लेकिन जो लोग ऐसा सोचेंगे उन्हें बताना चाहती हूँ कि प्रसिध्द वैज्ञानिक एडिसन को भी, और उनके अविष्कार करने के लिए किये गये प्रयोगों को मूर्खता के ही श्रेणी में रखा गया था। मैं जानती हूँ कि धर्म युग की कल्पना मेरी भी मूर्खता है। लेकिन ये मूर्खता एक दिन हकीकत में जरूर बदलेगा।
चलिए अब मैं आपका ध्यान प्यार बचाओ पर लाना चाहती हूँ। यानी (Save Love) जैसे हमें बचपन से ही सीखाया जाता है जल बचाओ, विजली बचाओ वैसे ही बच्चों को शिक्षा के माध्यम से “प्यार बचाना भी सिखाना चाहिए।
मैं आज की नव युवा पीढ़ी को या आने वाली पीढ़ी को संदेश देना चाहती हूँ कि थोड़ा सा प्यार अपने लाइफ पार्टनर के लिए बचाओ ताकि आने वाला भविष्य या जीवन संवर सके। आज कल गर्लफ्रेंड – ब्वॉयफ्रेंड बनाना आम बात हो गई है। प्यार करना फिर टूट कर बिखरना भी आम बात हो गई है। क्या हम टूटने से पहले नहीं सम्हल सकते हैं? सम्हल सकते हैं यदि हम थोड़ा सा चतुराई और समझदारी दिखाएं तब। अब हम आते हैं गर्लफ्रेंड – ब्वॉयफ्रेंड के शाब्दिक अर्थ पर।
गर्लफ्रेंड का शाब्दिक अर्थ निकलता है – गर्ल =लड़की, फ़ेड =दोस्त। उसी तरह ब्वॉयफ्रेंड का भी शाब्दिक अर्थ वही होगा।
फिर इसमें खास वर्ड कहाँ से आया बीच में। एक लड़की या लड़के से दोस्ती और प्यार करना गलत नहीं है व्लकि उस प्यार को खास बनाकर सपना देख उम्मीद लगाकर प्यार किया जाना गलत है। आज कल प्यार का गलत अर्थ लगाकर ही लोग अपना दिल या दूसरे का दिल तोड़ते हैं, जिसका परिणाम ये होता है। गम मिलता है, दिल टूटता है, एक दूसरे पर दोषारोपण और धोखा देने का नाम मिलता है।
जैसे आजकल लोग किसी भी लड़के या लड़की से बात करते हुए देखकर बड़ा चाव से सोचते हैं कि जरूर ये गर्लफ्रेंड – ब्वॉयफ्रेंड ही होगा। भले ही वह भाई-बहन क्यों न हो। अरे गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड है तो है इसमें शाब्दिक अर्थ से बुरा क्या है? मैं बताऊँ गलत क्या है? गलत हमारी और आपकी सोच है। दोस्त बनाना कहीं से गलत नहीं है। अपने अनुभव और समाज में होने वाले घटनाओं को देखते हुए कह सकते हैं कि हमारी और आपकी दोस्ती के प्रति गंदी सोच गलत है। 10 वर्ष से 20 वर्ष के उम्र में जाते – जाते एक दूसरे के प्रति आकर्षित होना आम बात है। ये प्राकृतिक देन है। लेकिन आकर्षण या दोस्ती या आकर्षण को पहले प्यार या आखिरी प्यार का नाम देना ही भूल है। क्या बेटे का मां की तरफ आकर्षित हो प्यार करना गलत है। या बहन से भाई का प्यार होना गलत है। नहीं इस प्यार को कोई गलत नाम नहीं दे सकता है। क्यों कि इस रिश्ते में गंदी सोच नहीं है, इस रिश्ते में पवित्रता है।
मै समाज से पूछना चाहती हूँ कि क्या ये गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड के रिश्तों में ये पवित्रता नहीं आ सकती है। आ सकती है यदि सोच पवित्र बन जाय तो इस रिश्ते को भी गलत रिश्ते के नाम से बचाया जा सकता है। मेरा समाज के उन अनुभवी व्यक्तियों से या इंसानों से प्रार्थना है कृपया इस रिश्ते को भी पवित्र मानकर एक अच्छा रिस्ता बनाने की सीख दें न कि गलत सोच और गंदी सोच से अपवित्र समझ गलत रिस्ते का नाम न दें। यदि ऐसा कोई करता है तो फिर उसके नजर में मां का बच्चे के प्रति आकर्षण, बहन का भाई के प्रति आकर्षण भी गलत ही मानना चाहिए। आकर्षण तो आकर्षण है फिर वो चाहे जिस के प्रति हो। क्यों कि किसी के प्रति आकर्षित होना प्राकृतिक देन या आम बात है। तो गर्लफ्रेंड – ब्वॉयफ्रेंड के प्रति आकर्षित होना कहां से गलत है। जिंदगी में मां फिर बहन उसके बाद, दोस्त, गर्लफ्रेंड फिर पत्नी से जुड़ना प्राकृतिक देन है।

रिस्तों में प्यार या आकर्षण गलत नहीं” मां से प्यार करो माँ सेआकर्षण होना गलत नहीं है। बहन से प्यार करो बहन से आकर्षण गलत नहींहै। लड़की से प्यार करो लड़की से आकर्षण गलत नहीं। दोस्त से प्यार करो दोस्त से आकर्षण गलत नहीं है। सबसे प्यार करो प्यार के प्रति आकर्षण गलत नहीं है । क्या गलत है अपवित्र वाला सोच गलत है। प्यार बचाओ किसके लिए, प्यार बचाओ लाइफ पार्टनर के लिए।
थोड़ा प्यार बचाओ माँ के प्यार से। थोड़ा प्यार बचाओ बहन के प्यार से। थोड़ा प्यार बचाओ गर्लफ्रेंड के प्यार से। थोड़ा – थोड़ा प्यार बचाओ सब रिश्तों से।
भविष्य संवारो प्यार बचा के। जिंदगी खुशहाल बनाओ प्यार बचाके।

जैसे जल बचाते, वैसे प्यार बचाओ थोड़ा – थोड़ा।
खुशियाँ पाओ ज्यादा – ज्यादा।
[ कविता ]
“Save Love कितना जरूरी।
जल बचाना उतना जरूरी।
Save Love कितना जरूरी।
विजली बचाना उतना जरूरी।
प्यार बचाना कितना जरूरी।
करियर बनाना उतना जरूरी।
प्यार बचाना कितना जरूरी।
भविष्य संवारना उतना जरूरी।
प्यार बचाना कितना जरूरी।
भारत को आतंकवाद से बचाना उतना जरूरी।
प्यार बचाओ, प्यार बचाओ।
खुशियाँ पाओ, खुशियाँ पाओ। “
नोट-प्रामरी स्तर को ध्यान में रखते हुए याद करने के लिए। लय बद्ध तरीके से गाने के लिए बनाया गया है। इस लिए सरल शब्दों का प्रयोग किया गया है। एक समान दुनिया को प्यार करने वाली रजनी अजीत सिंह
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