देख तिरंगा अपना सर गर्व से ऊँचा हो जाता है।
जन-गण-मन की धुन सुनकर सब सम्मान में उठ खड़ा हो जाता है।
शूर-वीरों ने अपना प्राण दिया उनके सम्मान में सर अपने आप झुक जाता है।
समझा सबकुछ देश को ही अजादी चाहने वालों ने अपनी जान और स्वार्थ की परवाह नहीं की थी।
पर आज देश की हालत देख मन मेरा रोता है।
आज देश के कितने लोगों को बस अपना स्वार्थ ही भाता है।
कोई छप्पन भोग करे तो कोई रोटी को तरस जाता है।
जाति-धर्म को लेकरके बस अपने स्वार्थ के लिए नारा लग जाता है।
नहीं याद उनको की अजादी दिलाने वाले शूर-वीर हर धर्म के सपूतों ने अपना जान गंवाया था।
कम से कम उनके सम्मान में जाति-धर्म को लेकर देश के टुकड़े ना करते।
जाति धर्म से पहले सब अपने देश को ऊपर ही रखते।
उसी को देश का नायक चुनते जो देश की उन्नति कर उसको शिखर पर ले जाते।
रजनी अजित सिंह 14.8.18
15अगस्त के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं।
🇮🇳🇮🇳जय हिंद, जय भारत। 🇮🇳🇮🇳
महीना: अगस्त 2020
झरोखे से झाँकती जिंदगी का बैक मैटर।
मेरी पहली पुस्तक “जिंदगी के एहसास” और दूसरी पुस्तक “शब्दों का सफर ” को सफलता पूर्वक समाज के सामने प्रस्तुत करने में कामयाब होने के बाद तीसरी पुस्तक “झरोखे से झाँकती जिंदगी” मेरा वह संग्रह है जिसमें आपको कविता, भजन, गीत के साथ कहानी भी पढ़ने को मिलेंगी । पढ़ने के बाद आप महसूस करेंगे कि उन सभी इतिहास के क्षणों को जो समाज, पूर्वजों और रिश्तों का हिस्सा है,वेआख्यान जो मेरे मस्तिष्क में चलचित्र की तरह प्रतिक्षण चलायमान रहते हैं। स्मृतियों के उन्ही चित्रों को शब्दों के माध्यम से उकेरने का मेरा एक प्रयास भर है।
“जब कोई प्रिय या अप्रिय क्षण दिलो दिमाग में धंस जाती है तो साहित्य के अनेक विधाओं के रुप में समाहित हो जाती है।”
रजनी अजीत सिंह एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की पोती और भूतपूर्व सैनिक की बेटी हैं इसलिए इनके चरित्र में वीरता और साहस कूट कूट कर भरा है। बाकी आप इनका व्यक्तिव और स्वभाव इनके दोनों रचनाओं और“झरोखे से झाँकती जिंदगी “रुपी संस्मरण को पढ़ने के बाद समझ सकते हैं।
“प्यार मिला, ठेस लगी, गम मिला तो क्या हुआ? कभी कहानी, कभी कविता, कभी लेख, कभी आलोचक, तो कभी डायरी और कभी संस्मरण बनकर जिंदगी की हकीकत सामने आई।1997से लिखने की शुरु हुई ये कहानी, जाने कब तक अर्थात सांस थम जाये तब तक लिखती रहूँ।” यही रजनी अजीत सिंह की हार्दिक इच्छा है।
दूरदर्शन उत्तर प्रदेश चैनल पर काव्य संगोष्ठी का प्रसारण।
आज 6.8.20 को रात 10.30 पर डी डी उत्तर प्रदेश काव्य संगोष्ठी केआये प्रसारण के कुछ पल जो जिंदगी में खुशियों से आँचल भर गयी।
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