जिंदगी तुझसे शिकायत ही नहीं है।
जिंदगी के सफर में कितनी बार टूट के विखरे।
पर जिंदगी ने ही हमें टूटने के बाद भी जिना सीखाया।
जिंदगी के तजुर्बा ने ही सब समझने के बाद भी नजर अंदाज कर नासमझ बन माफ करने की कला सीखाया और रिश्तों को अपने हिसाब से निभाना सीखाया।
नहीं तो कभी वो भी समय था जब शेरनी और क्षत्राणी कहलाती थी क्योंकि क्षत्रिय कुल में जन्मी जो थी एक नजर पीछे मुड़कर घूर देने मात्र से छक्के छूट जाते थे और सब अपने अपने रास्ते पकड़ लेते थे।
पर आज बस तजुर्बा है कि प्यार से समझाने की कोशिश कर मुस्कुराकर बातों को टाल अपनी बात, बातों बातों में समझा ले जाती हूँ और रिश्तों को बड़े प्यार से निभाने लगी हूँ। सुना जाता है क्षत्रिय अपना बदला बारह बरस बाद भी बदला लेते हैं और मैं ठहरी क्षत्राणी जिसके पिता ने 10 साल की उम्र में हाथ में बन्दूक पकड़ा दी क्यों कि मैं फौजी की बेटी थी जिस उम्र में आजकल नैनो से शिकार करते हैं हम उस उम्र में नील गाय, सांप, बगुले अर्थात पशु पक्षी को एक गोली से दो शिकार करते थे।कहीं डकैती होती थी वही डकैत जब हमारे निशाने के शोर से अब चोरों की तरह ढंग से चोरी भी नहीं कर पाते थे। और आज अब कब इतने बड़े हो गए कि बिन कुछ कहे सब जानते हुए भी अनजान बन रिश्तों को प्यार से निभाने की कोशिश करने लगे।
रजनी अजीत सिंह 31.3.18
#रिश्तें
#कोशिश
#प्यार्
#yqbaba
#yqdidi
Follow my writings on https://www.yourquote.in/rajnisingh #yourquote
You must be logged in to post a comment.