दिनमान की शोभा काम में है,
निद्रा की शोभा रात में है।
सत्य की शोभा हार के फिर जीत में है।
असत्य की शोभा जीत कर
हार जाने में है।
नारी की शोभा त्याग में है,
नर की शोभा सच प्यार में है।
त्याग और बलिदान बिन नारी शोभा पाती नहीं।
सत्य और प्यार बिन नर भी बस पाते नहीं।
घर उजड़ जाता है नारी मारी जाती है।
घर एक बार उजड़ जाने पर बस पाते नहीं।
मृत्यु का वरण जीवन का शरण पाता नहीं।
असत्य का अंधकार छा जाने पर
सत्य का प्रकाश आता नहीं।
जो चला जाता है कभी लौट कर आता नहीं।
विता हुआ रात – दिन कभी वापस आता नहीं।
जो एक बार भटक जाता है
वह राह पर आता नहीं।
लेकिन साधना प्रयत्न से
सब कुछ पाया जा सकता है।
कहने वालो का यह कथन असत्य नहीं।
रजनी सिंह
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