
अभी रास्ता एक ही है, एक पर चलो वर्ना राहगीर के बताए पथ पर चल दिए तो रास्ता भटक जाओगे ।
क्यों कि हर राहगीर को पथ कहाँ पता होता है।
जानकार राहगीर से रास्ता पूछकर चौराहे का रास्ता चूनो, वर्ना भटकने में समय बहुत बर्बाद होगा।
जिस समय की कीमत न तुमको है न उनको है न सबको है।
पर करूँ तो क्या करूँ मैं तुम्हारे लिए अपने को सबके में नहीं मानतीं।
क्यों कि मैं स्पेशल हूँ तो तुम Imp हो जब तुम Imp हो तो तुमको पढ़ना मुझे जरूरी है।
जब मैं तुम्हें पढ़ती हूं तो तुम भी इस स्पेशल को स्पेशल मानो तभी तो Imp बन पाओगे।
वर्ना V. Imp होकर भी नहीं पूछे जाओगे।
क्यों कि तुम बहुत बार V. V. Important बनकर आ चुके हो।
तो इस बार इस इयर में साधारण ही बनकर रह लो।
ताकि V. V. Important अगले वर्ष में हो जाओ।
जब V. V. Important बन जाना तब मुझ स्पेशल को न मानो तब भी चलेगा।
क्यों कि जो चलेगा वही तो चौराहे पर खड़ा होगा।
जो चौराहे पर होगा, वही तो एक रास्ता चुनेगा। जो एक रास्ता चुनेगा तभी तो मंजिल मिलेगा।
वर्ना हर मंजिल के तलाश में एक चौराहे से दूसरे चौराहे तीसरे से चौथे चौराहे पर सदा भटकते रहोगे।
देखो कौन पथिक सही रास्ता बताता है।
शायद ईश्वर चाहे तो सही पथ दिखाने के लिए मैं ही पथिक बन सही पथ बता दूँ। क्योंकि मैं पथिक ही तो हूं मुझे कोई मंजिल या रास्ता कहाँ बनने दिया गया।
कम से कम पथिक बनकर ही मंजिल तक पंहुचा दूं। क्योंकि मैं हर पथ पर चलकर पथिक बन गई हूं।
और पथिक बन हर चौराहे से गुजर चुकी हूँ। इसलिए अब मुझे हर चौराहे पर खड़े होकर भी रास्ता चुनने काअनुभव हो गया है।
तो अब पथ सही बताऊंगी ऐसा मुझे लगता है। बाकी ईश्वर जाने उसकी मर्जी।
नोट-
1.आज कल गूगल मैप का जमाना है।
2.जब ये लिखा गया है तब गूगल मैप का जमाना नहीं था।
3.रियल जिंदगी गूगल मैप से नहीं चल सकती है, इसके लिए अनुभव की जरूरत होती है।
रजनी सिंह