महीना: अक्टूबर 2017

जिंदगी में हिन्दी पर गर्व। 

इंग्लिश तेरी दुल्हन होगी,
हमें नाज है हिन्दी पर,
हिंदुस्तान के हम वासिंदे,
नाज हिन्द और हिंदी पर,
छंद रसीले अलंकार हैं,
उपमा का भी क्या कहना,
बोल के देखो हिंदी प्यारे,
सारे देश का है गहना,
झरनों के कलकल पानी,
बारिश के बूंदों में हिंदी,
जीव-जंतु के बोल सुनो,
लगता है बोल रहे हिंदी,
गावो के खलिहान,शहर,
संसद को शान है हिंदी पर,
हिंदुस्तान के हम वासिंदे,
नाज हिन्द और हिंदी पर।
जय हिंद —जय हिंदी।

कवि मधुसूदन जी

रजनी सिंह

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जिंदगी में प्रेम नहीं तो कुछ नहीं। 

अक्टूबर 28, 2017 को 4:25 अपराह्न

प्राईमरी स्तर को मध्येनजर रखते हुए सरल शब्दों में लिखी गयी ये कविता वाकई बेहतरीन है।पहले भी इस कविता को पढ़ा था परंतु इस बार मन मे कुछ भाव आये शायद आपको पसंद आये—-
प्रेम नही तो ये जग कैसा?
प्रेम बिना फिर रब है कैसा?
प्रेम ही काबा,प्रेम ही काशी,
प्रेम जहां फिर कहाँ उदासी।
आओ प्रेम का दीप जलाएँ,
धर्मयुग फिर वापस लाएँ।
जहां नही डर छल का होगा,
भयमुक्त जग-जन्नत होगा।
हर रिश्ते में प्रेम पाक,
अपवित्र प्रेम का लफ्ज ना होगा।

कवि- मधुसूदन जी

रजनी अजीत सिंह
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जिंदगी में खुशी 


यदि मन खुश और सन्तुष्ट हो तो सभी की शक्ल प्यारी लगती है। 

मगर जब सच्ची बातें करती हूं तो लोगों को लगता है,

 मेरी बातों से चिनगारी निकलती है। 

लबो पर मुस्कुराहट हो तो सच्ची मुस्कुराहट  और दोस्त की जोड़ी प्यारी लगती है। 

पर जब सच्ची बातें कहो तो न समझने की अक्सर  बिमारी निकलती है। 

सच्ची बातें तो सब पर जबर्दस्ती लादा जा नहीं सकता। 

कहीं स्वार्थ और झूठ के नींव पर मेरी जान रिश्तों की ऊंची ईमारत बनती है। 

जब स्वार्थ सिद्ध करने का समय आता है तो मिलजुल कर सब बातें करते हैं। 

अब कलयुग में दौलत से ही सबकी बस अपनी रिश्तेदारी निकलती है। 

किसी को बचाने की बात हो तो कलयुग में झूठ बोलना पाप नहीं। 

लेकिन यहाँ तो सब अपने स्वार्थ के लिए, झूठ बोलकर तेरी मेरी जां लेने की सबकी तैयारी लगती है। 

मेरी जुबां खुलते ही फौरन टूट जाएगा कबीला। 

यदि खामोश रहती हूँ तो सबकी जबाब देही होती है। 

तबीयत से जिसे भी चाहा अपनाना वो खूनी रिस्ता पराया निकलता है। 

खूनी रिश्तों में जो अपना लगता है वो रिस्ता अक्सर बाजारी निकलता है। 

बेहतर है अपने खून के रिश्तों से पराये रिश्ते। 

कम से कम प्यार के दो शब्दों से जख्म पर मरहम तो लगा जाता है। 

जिंदगी में खुश रहना है तो” रजनी ” के जीवन साथी खूनी रिश्तों को छोड़ पराये को अपनाने का हुनर सीख लो मेरे प्यारे। 

” रात” के हमराही के जिंदगी में भी खुशियां छा जाएंगी। 

  🌺 🌺 जय माँ कल्याणी 🌺🌺

    ☺️   रजनी  अजीत सिंह

जिंदगी चौराहे पर भाग 2


अभी  रास्ता एक ही है, एक पर चलो वर्ना राहगीर के बताए पथ पर चल दिए तो रास्ता भटक जाओगे  ।
क्यों कि हर राहगीर को पथ कहाँ पता होता है। 

जानकार राहगीर से रास्ता पूछकर चौराहे का रास्ता चूनो, वर्ना भटकने में समय बहुत बर्बाद होगा। 

जिस समय की कीमत न तुमको है न उनको है न सबको है। 

पर करूँ तो क्या करूँ मैं तुम्हारे लिए अपने को सबके में नहीं मानतीं। 

क्यों कि मैं स्पेशल हूँ तो तुम Imp हो जब तुम Imp हो तो तुमको पढ़ना मुझे जरूरी है। 

जब मैं तुम्हें पढ़ती हूं तो तुम भी इस स्पेशल को स्पेशल मानो तभी तो Imp बन पाओगे। 

वर्ना   V. Imp होकर भी नहीं पूछे जाओगे। 

क्यों कि तुम बहुत बार V. V. Important बनकर आ चुके हो। 

तो इस बार इस इयर में साधारण ही बनकर रह लो। 

ताकि V. V. Important अगले वर्ष में हो जाओ। 

जब V. V. Important बन जाना तब मुझ स्पेशल को न मानो तब भी चलेगा। 

क्यों कि जो चलेगा वही तो चौराहे पर खड़ा होगा। 

जो चौराहे पर होगा, वही तो एक रास्ता चुनेगा। जो एक रास्ता चुनेगा तभी तो मंजिल मिलेगा। 

वर्ना हर मंजिल के तलाश में एक चौराहे से दूसरे चौराहे तीसरे से चौथे चौराहे पर सदा भटकते रहोगे। 

देखो कौन पथिक सही रास्ता बताता है। 

शायद ईश्वर  चाहे तो सही पथ दिखाने के लिए मैं ही पथिक बन सही पथ बता दूँ। क्योंकि मैं पथिक ही तो हूं मुझे कोई मंजिल या रास्ता कहाँ बनने दिया गया। 

कम से कम पथिक बनकर ही मंजिल तक पंहुचा दूं। क्योंकि मैं हर पथ पर चलकर पथिक बन गई हूं। 

और पथिक बन हर चौराहे  से गुजर चुकी हूँ। इसलिए अब मुझे हर चौराहे पर खड़े होकर भी रास्ता चुनने काअनुभव हो गया है। 

तो अब पथ सही बताऊंगी ऐसा मुझे लगता है। बाकी ईश्वर जाने उसकी मर्जी। 

नोट-

1.आज कल गूगल मैप का जमाना है। 

2.जब ये लिखा गया है तब गूगल  मैप का जमाना नहीं था। 

3.रियल जिंदगी गूगल मैप से नहीं चल सकती है, इसके लिए अनुभव की जरूरत होती है। 

                     रजनी सिंह 

जिंदगी चौराहे पर भाग 1 

[दगी चौराहे पर ] भाग 1

  ये रचना दो अर्थो को लिए हुए है – 

जिंदगी परआज के युवा पीढ़ी पर जो विभिन्न प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए तैयारी कर रहे हैं। 

जिंदगी चौराहे पर खड़ी है। 

रास्ते तो चारों तरफ है, पर एक पर चलना मुनासिब है। 

निगाहें तो चारों तरफ है, तब एक पर कैसे चला जाए। 

ऐ पथिक तू एक रास्ता चुन, क्यों कि चारों तरफ जाना संभव नहीं। 

समुद्र में तैरने वाले नदी से डरते हो। 

नदी को पार करने वाले तलाब से डरते हो। 

तलाब को तो पार करना सीखो। 

वर्ना नाले से भी डरोगे क्या? 

नाले से डरोगे तो जिन्दगी तुम से डर कर रुठ जाएगी। 

रूठे हुए को भी मनाना सीखो।

वर्ना जिंदगी तुम से डर कर रूठेगी। 

तो अपने को चौराहे पर खड़ा पाओगे। 

और जिंदगी चौराहे पर खड़ी होगी। 

तब पथ एक चुनना होगा। 

हे ईश्वर मेरे धर्मसंगी को एक रास्ता चुनना सीखा दो।  

जो आज मुझसे  रूठा है, उसे कल तो पथ पर मिला दो। 

ताकि मैं उसे एक रास्ता तो चुनना सीखा  दूं। 

जिंदगी बहुत बड़ी है दोस्त, चारों तरफ चलना अभी छोड़ दो। 

मेरा मशविरा है अभी एक रास्ता चूनो। 

ताकि एक मंजिल पालो। 

जब एक मंजिल मिल जाएगी तो चारों तरफ़ अलग – अलग दिशाओं में (अर्थात) हर दिशा में मंजिल बना लेना।
रजनी अजीत सिंह

जिंदगी मुस्कुराती रहे। 27,10.17 

आपकी जिंदगानी मुस्कुराती रहे।

जिंदगी में खुशियाँ ही खुशियाँ आती रहे।

हम दूर ही सही पर मुझे भी आप के खुशी से खुशी मिलती रहे।

आशीष है यही की फूलों की खूशबू की तरह महकती रहें।

सूरज की रोशनी की तरह कीर्ति फैलती रहे। और सागर से भी गहरा हमारे रिश्ते में प्यार बना रहे।
जैसे कस्तूरी की खूशबू पता नहीं चल पाता वैसे ही हमारा रिश्ता बना रहे।
रजनी अजीत सिंह

~परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। 21.3.17

सबसे पहले मैं ये बता दूँ कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। आज जो मैं लिखने जा रही हूँ वो कोई मन गढ़त कहानी नहीं है न ही मेरी कल्पना की उपज है। वल्कि ये 100%सत्य है।

(हौसला)

हौसला रखने वालों की कभी हार नहीं होती।

चुनौती चुन चुन कर आती है डर जाने से नौका पार नहीं होती।

जीवन में जो आये लहर तो कूद लहर काटो।

दुनिया चाहे पीछे पड़ी हो लक्ष्य को तुम साधो।

लक्ष्य साध जब आते हैं तो दुनिया साथ होती।

हौसला रखने वाले की कभी हार नहीं होती।

मंजिल पाना हो तो राही चलते ही जाओ।

कंकड पत्थर कांटो से तुम हार नहीं जाओ।

चलते चलते राही को मंजिल मिल ही जाती।

हौसला रखने वाले की कभी हार नहीं होती।

रजनी सिंह

अन्त मैं बस इतना ही कहना चाहूंगी कि यदि हर लड़की को मौका दिया जाय तो हर लड़की कुछ न कुछ कर सकती है लेकिन हमारा समाज साथ देने के बजाय टांग खींचने में ज्यादा विश्वास करता है। और हर लड़की को कुछ उपलब्धि हासिल करने के बजाय शादी को ही सबसे बड़ी उपलब्धि मान बैठता है। मां बाप को फर्क भले न पड़े लेकिन समाज को शादी जैसी उपलब्धि दिलाने में, एहसास कराने में, टांग खींचने में समाज का भरपूर योगदान मिलता है। मेरा लिखने का एक मात्र उद्देश्य है समाज को जागरूक करना और उस लड़की या औरत को सहयोग करना जिसके द्वारा हर औरत या लड़की किसी लाइन को चुनकर एक मिसाल कायम करना चाहती हैं। सुना है लेखनी में बहुत शक्ति होती है। शायद मेरी ये लेखनी समाज को जगाने का काम कर जाय और हम जैसे छोटे रचना कारों को भी कुछ उपलब्धि मिल जाय।

नोट – मैंने अपने कविता में कंकड़, पत्थर और कांटा को समाज में टांग खींचने वालो के ही अर्थ में किया है। माफी चाहूंगी सब ऐसा नहीं करता है लेकिन जो ऐसा करता है उसको मैं कंकड़, पत्थर और कांटे ही समझती हूं।

26,10.17

इन हंसीन लम्हों के साथ आगे बढ़ती जाओ।

दुनिया में ऐसे ही आगे बढते हुए माँ बाप और हम लोगो का नाम रौशन करती ही जाओ।

आज मोदी जी के साथ मेरी बहन आईएफस रूचि और आइएएस, आईएफस के ट्रेनिंग मंसूरी का यादगार साथ का पिक।

रजनी सिंह

जिंदगी में छल करने वालो का हिसाब। 25.10.17

जिंदगी में छल करने वालो से।
जिंदगी ने जिंदगी के साथ मिलकर लिया प्रण अपने आप से।
अब हमारे ओठों से हंसी के साथ कभी खुशी गायब नहीं होगी।
छल करने वाले के लिए आँखों से आँसू छलकेंगी नहीं।
अब बुझी हुई आग से चिंगारी ज्वालामुखी बन कहर बरसायेगी।
इसी को जनाब जिंदगी में गिर गिरकर सम्हलना कहते हैं।
छलने वाले हजार सवाल होगा तुम्हारे पास लेकिन अब जवाब न मिलेगा।
क्यों कि अब तुम्हारे कुकर्म रूपी सवाल ही तुम्हारा जवाब है।
अब तुफान का फरमान है क्योंकि सन्नाटा के बाद ही तुफान आता है।
अब ओठों को सी, सबक ले, सबक दे, जिंदगी में आगे बढ़ जाना ही,
असल जिंदगी को खुशी से जीना कहते हैं

रजनी अजीत सिंह 

जिंदगी के आँखों में आँसू नहीं अब अंगारे। 

अब मेरे आँखों में आँसू नहीं, आग बरसने वाले अंगारे होंगे।

जिंदगी में अब ओठों पर हंसी ही नहीं,
जिंदगी में खुशी भी होगी।

अब जिंदगी में अपने रिश्ते पराये रिश्तों की खुशियों के लिए बलि चढ़ेगी।

अब मेरी सारी उम्र खूनी रिश्तों से हटकर बस इंसानियत के लिए कुर्बान होगी।

रजनी अजीत सिंह

जिंदगी में  हमेशा हँसती ही रहना। 

कभी उसने कहा हमेशा हँसती ही रहना।

मैंने पूछा उनसे हँसने से जनाब खुशियाँ नसीब होती हैं क्या?

ऐसा होता तो योगा में हंसने वालों की जिंदगी खुशियों से भरी होती।

रजनी अजीत सिंह