आज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मुझे शिक्षा दीक्षा देने में बहुत सहयोग रहा है उस गुरु जी से मिली जिनसे साहित्य की चर्चा भी हुई। मुझे काफी कुछ सीखने को मिला मैं उनको ह्रदय तल से गुरु पूर्णिमा की बधाई देते हुए उनके चरणों में नमन करती हूँ। 💐🙏
महीना: जुलाई 2019
हठ और हौसला
जिंदगी भी क्या रंग दिखाती है जिसे अपना मानो वही पल में पराया सा होने का एहसास दे जाता है ।
पर अपना बनाने का हठ और हौसला भी तो देखो जो जितना ही दूरी बनाना चाहता है जिंदगी उसे उतना ही करीब रिश्तों में शामिल कर जाती है।
तदबीरें बदलती होंगी तेरे दिमाग से पर तकदीर का लिखा फैसला नहीं बदलता है,
देखती हूँ आज से, सही फैसला हौसला रखने वालों ने लिया है या नहीं, तदबीरें तो रोज बदलती हैं पर यदि रिश्तों को निभाने का हुनर सीख रखा है तो वे अपने कर्मों से तकदीर भी बदल सकता है, बस इसी आस पर जिंदगी का विश्वास तुझ पर सौंप रखा है।
रजनी अजीत सिंह 10.7.2019
मन में उठे तुफान
अपने अंदर के उठे तुफान को छुपाये कैसे
तेरे ही जैसे तुझको नजर आयें कैसे
मेरे घर आने न आने का तसव्वुर तो बहुत बाद का है
पहले तो तय हो की डुबते घर को बचाएँ कैसे
हम सही तो हम सही होड़ लगी है हर तरफ
सर झुकाना नहीं आता तो सर झुकाएं कैसे
वहंम आँख का अपनों का बर्ताव बदल देता है
मुझ पर हंसने वाले तुझे मेरे आँसू नज़र आये कैसे
बचपन के यादों को भुलाना कोई खेल नहीं
अपने माँ-बाप के प्यार को छोड़कर जाएं कैसे
हर कोई अपने ही नजरिया से देखेगा मुझे
एक बूंद सी बनकर रह गई हूँ मैं तुम्हें समुंदर नजर आऊं कैसे
रजनी अजीत सिंह 6.7.2019
असमंजस
तुम लोगों को छोड़कर दूर हो जाऊं ये मुनासिब नहीं
मगर भुलाना भी चाहूँ तो किस तरह भुलाऊं ये भूल जाने का खेल मुझ आता ही नहीं
तुम्हारी गढ़ी कहानी अब सही और हकीकत है कोई झूठी नहीं
यहाँ तो रिश्तों का ये आलम है क्या कहूँ कम्बख्त ¡
दरमियान मेरे रिश्तों में ओ फासला ला दिया जो था ही नहीं
वो एक मासूम न हल होने वाला सवाल बनकर रह गया
जो तेरे कारण मेरे अपनों तक पहुँचा ही नहीं
वो एक बात जो मैं कह न सकी दोबारा माँ के आंचल को खोने के डर से
उस बात का सौ बात बना बताया तुमने, वो एक रब्त है जो हम में कभी रहा ही नहीं
अपने रब्त को छोड़ दूर हो चली थी तुम सब के लिए
मुझे याद है वो सब, पर रब्त को निभाने के लिए
सबकुछ भूल चुकी हूँ जैसे कभी कुछ हुआ ही नहीं
माना मुझे उकसा कर बोलवाने की कुंजी तेरे पास है
पर हर खजाने को जो खोल दे ओ हुनर जो मेरे पास है
वो चाहे जितना जोर लगा दे वो त्याग रुपी हुनर की ताली तेरे पास नहीं
रजनी अजीत सिंह 6.7.2019
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