महीना: सितम्बर 2019

Dear Maa

Dear MAA…
Said something, you must have before leaving…
Not you, but the memories I wouldn’t be craving…
Can’t Complaint to you dear maa..
It’s Just a reflection of my constant failing…
My heart wrenches thinking of my guilts…
Mustn’t you have thought before this spilt..
May be if you’d thought maa..not this grief would I be suffering…
Bound was…this moment to come…
Like the darkest night…making Rajni numb…
Remorse of this would always be…
It was…it is and will always be…
It was…it is and will always be…
Love, for the hold of which..
I lost,rejected, forgotten it..
Nor you, neither the love… remains with me today…
O maa ! You didn’t understand this..I’m sorry to say..
Despite this darkness, I have lit..
The candle of my heart and to knit…
A soft bed for my dears…
With loud smiles and silent tears….

जाने से पहले कुछ तो कही होती
जिंदगी में माँ से शिकायत शब्दों से श्रद्धांजलि स्वरूप-

जाने से पहले कुछ तो कही होती,
साथ न सही बातें तो साथ होती।
शिकायत भी नहीं कर सकती,
कुछ खामियां मुझमें ही थी।

खामियों को सोचकर दिल परेशान है होता ।
जाने से पहले कुछ तो सोचा होता,
शायद सोचा होता,
तो जाने का अवसर नहीं आया होता।

ये अवसर तो आना ही था,
रजनी के लिए अंधेरा बनकर।
अफशोश “जिदंगी” में “रात”
कमी बनकर खलती रही,
खली है, खलेगी , और खलती रहेगी।

जिस प्यार को अपना कहने के खातिर,
भुलाया, ठुकराया, गंवाया है प्यार।
अब न प्यार ही रहा न तू ही रही।
जननी बनकर जब तू ही न समझ सकी रात को।

“रात “होकर भी अंधेरे में दिल के दीए
को जला रौशनी है किया।
ताकी सब सुखी के साथ निद्रा
में ही आराम का एहसास करे,
वर्ना ये आराम शब्द का एहसास
किसने किया होता।

रजनी सिंह( 29.10.97)

हिंदी दिवस

हिंदी हम सबकी गौरव की भाषा, तभी तो बनी हमारी राज्य भाषा।

जन जन में जब प्रिय बने तब हिंदी देश की स्तम्भ बने।

हर वर्ष चौदह सितम्बर को हिंदी दिवस मना, लोगों की मातृभाषा बन हमें जागरुकता का पाठ पढ़ाती।

हिंदी है तो वतन है इस आशा की ज्योति जगाती।

पूरी दुनिया में डंका बजती क्योंकि हम हिंदी भाषी हैं।

जब बने हिंदी हमारी राज्य भाषा से राष्ट्र भाषा तब ये सम्मानित हो, हम सबकी यही अभिलाषा है।

आओ हम सब शपथ ले सदा मने हिंदी दिवस का हर दिन ही जलसा।

काश्मीर से कन्याकुमारी तक राष्ट्र भाषा हिंदी हमारी है, साहित्य की ये फुलवारी है।

अंग्रेजी से लड़े जंग ये सम्मान की अधिकारी है।

जन जन में मशहूर हो क्यों कि हिंदी ही पहचान हमारी है।

हिंदी ऐसी भाषा है जो सपने हमें दिखाती, सुख दुःख लिख कर एक नया सृजन कराती।

बिना हिंदी के हिंदुस्तान की कल्पना नहीं हो सकती हमारी है, क्योंकि सारे जग की लाडली भाषा हिंदी हमारी है।

हिंदी दिवस के अवसर पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।

रजनी अजीत सिंह 14.9.2019

हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा नहीं बल्कि केवल ये राज भाषा और मातृ भाषा ही है।

इसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं –

राष्ट्रभाषा- वह भाषा जो एक पूरे राष्ट्र अथवा देश द्वारा समझी, बोली जाती है; तथा उस राष्ट्र की संस्कृति से संबंधित होती है। यह पूरे देश की होती है।

राजभाषा- राज अर्थात् शासन के द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली भाषा। यह सरकार की भाषा होती है, अतः यह केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के आधार पर एक ही अथवा भिन्न-भिन्न भी हो सकती है।

भारत में अधिकांश लोग हिंदी को राष्ट्रभाषा मानते हैं. देश की सर्वाधिक जनसंख्या हिंदी समझती है और अधिकांश हिंदी बोल लेते हैं. लेकिन यह भी एक सत्य है कि हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है ही नहीं ये हमारी मातृ भाषा है।

हिंदी को राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर, 1949 के दिन मिला था. तब से हर साल यह दिन ‘हिंदी दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे एक वजह है. आइए जानते हैं इससे जुड़ी अहम बातें.
हिंदी भारतीय गणराज की राजकीय और मध्य भारतीय- आर्य भाषा है. 2001 की जनगणना के अनुसार, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय हिंदी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं, जबकि लगभग 42.20 करोड़ लोग इसकी 50 से अधिक बोलियों में से एक इस्तेमाल करते हैं.

1998 के पूर्व, मातृभाषियों की संख्या की दृष्टि से विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं के जो आंकड़े मिलते थे, उनमें हिंदी को तीसरा स्थान दिया जाता था.
हिंदी की प्रमुख बोलियों में अवधी, भोजपुरी, ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमांऊनी, मागधी और मारवाड़ी भाषा शामिल हैं.

कैसे हिंदी बनीं राजभाषा-

साल 1947 में जब अंग्रेजी हुकूमत से भारत आजाद हुआ तो उसके सामने भाषा को लेकर सबसे बड़ा सवाल था. क्योंकि भारत में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती है. 6 दिसंबर 1946 में आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान का गठन हुआ. संविधान सभा ने अपना 26 नवंबर 1949 को संविधान के अंतिम प्रारूप को मंजूरी दे दी. आजाद भारत का अपना संविधान 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में लागू हुआ.

लेकिन भारत की कौन सी राष्ट्रभाषा चुनी जाएगी ये मुद्दा काफी अहम था. काफी सोच विचार के बाद हिंदी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की भाषा चुना गया. संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी हिन्दी को अंग्रजों के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी।
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि इस दिन के महत्व देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाए. बतादें पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 में मनाया गया था।