महीना: फ़रवरी 2018

जिंदगी अकेले में। 


बाहों के घेरे में सिमट रहे हैं तेरे प्यार में हम तुम अकेले में।
दुनियां के मेले में सबको भुलाये बैठे बस तेरे चाहत में हम गुनगुनाने लगे अकेले में।
आज से फिर हम संवरने लगे तेरे नैनो के दर्पण में हम खुद को ही अच्छे लगने लगे अकेले में।
सूरज की किरणों सी बन रहे हमारा प्यार सदियों सदियों तक और एक-दूसरे पर जिंदगी वार दे सबकुछ निसार दे अकेले में।
रजनी अजीत सिंह 28.2.18
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मन का भेद। 


मुझसे ही कोई अपना दर्द छुपाने लगा है।
दिखावटी खुशी का गीत गाने लगा है।
मेरे प्यारे एहसास को वो झुठलाने लगा है।
मुझे मिले जो खुशी तो खामोश भी होकर मुस्कुराने लगा है।
मुझसे ही मन का भेद छुपाने लगा है।
खुशियों का झूठा गीत गुनगुनाने लगा है।
रजनी अजीत सिंह 27.2.18
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जिंदगी में दुआं। 


जिंदगी हंसी है बहुत दिनों बाद।
खुशी का एहसास हुआ है बहुत दिनों बाद।
लगता है किसी ने दुंआ मांगी है मेरे खुशी के लिए जो पूरा हुआ है बहुत दिनों के बाद।
रजनी अजीत सिंह 27.2.18
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जिंदगी में अंतिम इच्छा। 

             (अंतिम इच्छा)

हे प्रभु मेरे पर बस इतना कृपा करना जब तन से प्राण निकले तब गोविंद का नाम लेकर निकले। जब प्राण निकले तब गंगा जी का तट हो और यमुना के किनारे वंशी बजाने वाला मेरा सांवरा मेरे निकट हो और वृंदावन वन का स्थल हो, विष्णु चरण का जल और मुंख में मेरे तुलसी दल हो।
जब प्राण तन से निकले तब मेरे सन्मुख मेरा सांवरा खड़ा हो और मुरली का स्वर भरा हो, तिरछा चरण धरा हो और जिसके सर मुकुट हो, मुखड़े पर काली लट हो बस प्राण निकलते समय मेरे हृदय में यही ध्यान हो, केशर तिलक लगा हो, उनके मुंख पर चन्द्रमा सा उजाला हो और मैं उन्हीं के गले में माला डालूँ। कानों में जड़ाउ बाली हो, जब भी देखूं छटा निराली हो। पीताम्बरी कसी हो और होठों पर कुछ हंसी हो और यही छवि मेरे मन में बसी हो। पंचरंगी काछनी हो पट प्रीत से तनी हो मेरी बात सब बनी हो। आना अवश्य आना राधे को संग लाना और मुझे उस वक्त भी अपना दर्शन दिखाना।
जब मेरे कंठ में प्राण आये तो मुझे कोई भी रोग न सतावे और न ही मुझे यम ही दरश दिखाए और मेरा प्राण सुख से निकले, तेरा नाम मुंख से निकले और इस आवागमन के घोर दुःख से बच जाऊं।
जब मेरे प्राण निकले उस वक्त जल्दी आना नहीं श्याम भूल जाना मूरली का धुन सुनाना। सुधि न तन की हो, तैयारी गमन की हो बस यही नेक सी अर्ज मेरी है मानो तो क्या हर्ज है मेरे प्रति कुछ तो आपका फर्ज बनता है।
रजनी अजीत सिंह 

जिंदगी  के रंग होली के संग(12.3.17)

जिंदगी हमें कितना रंग दिखाती है।
जैसे होली सब रंगों को लेकर आती है।

कहीं सरसों के फूल बसंत ऋतु की खूबसूरती लेकर आती है।

तो कहीं खेतों में गेहूं की बालियां हम को लुभाती है।

प्रकृति की छटा भी कितनी निराली लगती है।

हर रंग के फूल हमें होली के रंगों सी लगती है।

कहीं फगुनहटा ब्यार तो कहीं होली के गीत भी हमारे मन को भाती है।

होलिका दहन भी बुराई पर अच्छाई की जीत दिलाती है।
होली विभिन्न पकवानों के साथ ढ़ेर सारी खुशियाँ लेकर आती है।

क्या बच्चे क्या बूढ़े क्या जवान सब टोली में मिल आपस में खुशियां मनाते है।

हर रंग हमें अलग अलग महत्व लिए अपने अर्थो से जिंदगी के रंग से अवगत कराती है।

1.लाल रंग प्यार का रंग है। ये रंग हमें प्यार करना सीखाती है। इस लिए लोग प्यार में लाल गुलाब देना पंसद करते हैं।

ऐसा माना जाता है की मां दुर्गा लाल रंग की ओढ़ चुन्नी जग में उपकार करती है।

2.पीला रंग दोस्ती के लिए खास रंग है। इसलिए दोस्ती में लोग पीला गुलाब देना पंसद करते हैं।

और ऐसा माना जाता है मां शीतला पीला चुनरी पहनती है तो जग में कल्याण करती हैं।

3.गुलबी रंग जिसे रानियों का कलर कहा गया है।

और जब माँ लक्ष्मी गुलाबी चुन्नी पहनती हैं तो लक्ष्मी का रूप धारण कर धन दान करती हैं।

4.श्वेत अर्थात सफेद ये रंग अपने आप में पवित्रता को लिए हुए है। ये रंग अपना अस्तित्व छोड़कर किसी भी रंग में रंग जाता है। अर्थात इस रंग को प्यार से चाहे जिस रंग में रंग लो। जैसे हमारे तिरंगे में इस रंग को शांति, सत्य और पवित्रता का चिन्ह माना गया है।

जब माँ श्वेत चुनरीओढ़ सरस्वती का रूप धारण करतीं हैं तो जगत में ज्ञान बांटती है अर्थात विद्या दान करती हैं।

5.हरा रंग प्रकृति को दर्शाने वाला रंग है। जिसे देख मन अपने आप में प्रसन्न और प्रफुल्लित हो जाता है।

इस हरे रंग को तिरंगे में श्रद्धा, विश्वास और देश की हरियाली और समवृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

6.केसरिया अर्थात आरेंज रंग वीरता और त्याग का सूचक है। और कल की जीत से जनता मोदीमय अर्थात हमारा मन केसरिया मय हो गया है।

7.काला रंग हम हिन्दुओं में किसी भी शुभ कार्य में वर्जित है। वहीं मुस्लिम धर्म के लोग शुभ मानते हैं। काला रंग कलंक लगने के अर्थ में भी किया गया है। तो वहीं दूसरी तरफ यही काला रंग आँखों में लग खूबसूरती भी प्रदान करता है और काला टीका लगाकर बुरी नजर से भी बचाया जाता है।

जब काली माँ संघार करने चलती हैं तो काला चुनरी अर्थात काला वस्त्र धारण कर दुष्टों का रक्त पान करती हैं।

जब सातों रंग साथ हो तो इसे इन्द्रधनुष कहते हैं।
जब माँ सातों रंग की चुनरी धारण करती हैं तो इनकी माया कोई नहीं समझ पाता है अर्थात इनकी माया इनकी सात बहनें भी नहीं समझ पाती हैं। और जब इनकी कृपा हो जाय तो अज्ञानी एक पल में ज्ञानी बन जाता है।

जब लिख रही थी तो लगा क्यों न हम इन रंगों के अस्तित्व को अपनाकर होली के रंगों के साथ खुशियां मनाएँ।

होली के रंगों के साथ सभी बड़े और छोटे को होली मुबारक हो।

होली के शुभ रंगों के साथ आपलोगों की

रजनी सिंह

जिंदगी में अनेक पहलू। 


बेरंग जिंदगी में रंग तो सजते है न।
ना खुश जिंदगी में खुशी तो आते हैं न।
खामोश जिंदगी में बड़ बड़ करने के दिन भी तो आते हैं न।
रजनी अजीत सिंह 26.2.18
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जिंदगी का एहसास। 

सबकुछ भुलाने के लिए बस तेरा साथ चाहिए।
मुझे मेरे प्यार के एहसास के बदले बस तेरे प्यार का एहसास चाहिए।
जो सब सुख दुःख में साथ दे वो साथ चाहिए।
जो मांगे नौ लखा हार तो हर जरूरत रूपी सौतन को मुझसे बिना पूछे दे देना।
मुझे तो बस हर सुख – दुःख भूला बैठूं वो बांहों का हार और श्रृंगार चाहिए।
………… रजनी……. 24.2.18
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जिंदगी की ट्रेन। 


जिंदगी में कितना भी सम्हल कर चलो।
कभी कभी जिदंगी की ट्रेन पटरी से उतर ही जाती है।
रजनी अजीत सिंह 26.2.18
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