शिक्षक दिवस
विश्व के कुछ देशों में शिक्षकों (गुरुओं) को विशेष सम्मान देने के लिये शिक्षक दिवस का आयोजन होता है। कुछ देशों में छुट्टी रहती है जबकि कुछ देश इस दिन कार्य करते हुए मनाते हैं।
भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन (५ सितंबर) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
शिक्षक
में दो गुण निहित होते हैं – एक जो आपको डरा कर नियमों में बाँधकर एक सटीक इंसान बनाते हैं और दूसरा जो आपको खुले आसमा में छोड़ कर आपको मार्ग प्रशस्त करते जाते हैं.
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जन्म दाता से ज्यादा महत्व शिक्षक का होता हैं क्यूंकि ज्ञान ही व्यक्ति को इंसान बनाता हैं जीने योग्य जीवन देता हैं.
अनजान बना दिया
उनकी ऐसी कृपा हुई
गुरू ने मुझे एक अच्छा
इंसान बना दिया
ले गए आप इस स्कूल को उस मुकाम पर ,
गर्व से उठते हैं हमारे सर , हम रहे ना रहे कल ,
याद आएंगे आपके साथ बिताये हुए पल ,
हमे आपकी जरुरत रहेगी हर पल।
गुरु का महत्व कभी होगा ना कम,
भले कर ले कितनी भी उन्नति हम,
वैसे तो है इंटरनेट पे हर प्रकार का ज्ञान,
पर अच्छे बुरे की नहीं है उसे पहचान…
तुमने सिखाया ऊँगली पकड़ कर चलना,
तुमने सिखाया कैसे गिरने के बाद सम्भलना,
तुम्हारी वजह से आज हम पहुंचे है आज इस मुकाम पे,
ये नीचे की तस्वीर हमारे गुरु जो यू. पी. कालेज के हिन्दी विभाग में कार्यरत थे और कुछ हैं। इनका नाम रामसुधार सर, विश्वनाथ सर, रामबच्चन सर, तिवारी सर, और मधु मैडम की है। जिन्होंने हमारे शिक्षा – दीक्षा में भरपूर योगदान दिया है और हमें आज उन्हीं के प्रेरणा से कुछ लिखने का सौभाग्य मिला है। मेरा मेरे गुरु जी लोगों को प्रणाम। 🙏💐🙏💐🙏💐🙏💐
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वैसे मेरे जीवन में और विचार में माँ ही सबसे पहले गुरु है। लेकिन समाज के मान्यताओं के अनुसार पहले गुरु की वंदना। अब कहा भी गया है –
गुरु गोविंद दो खड़े काके लागों पाँव।
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।।
इस लिए मैं अब गुरु स्तुति करुंगी।
गुरु जी की ये स्तुति मैं जब नौ में पढ़ती थी यानी 19सौ88से कहीं से लिखी थी जो आज भी गाती हूँ।
( गुरु स्तुति)
गुरु जी शरण आ गये रखना मेरी लाज।
कारज सारा सिध्द करो, अर्ज करूँ महाराज।।
गुरुदेव हमें अपने चरणों में जगह जरा सी दे देना ।
सद्बुद्धि हमें तो सदा देना अवगुण से दूर सदा रखना।
अगर भटक जाय हम कभी कहीं आकर के राह दिखा देना।
तेरी धूलि नित पाये हम तो रई संगति हर पल चाहे हम।
चाहे पास रहे चाहे दूर रहें सदा हाथ हमारे सिर रखना।
गुरु देव हमें अपनी चरणों में जगह जरा सी दे देना।
काशी राम गुरु अपने सदा श्याम भजन में मग्न रहते। बड़े भाग्य से गुरु ऐसे मिलते तन मन धन सब अर्पण करते।
गुरु देव हमें अपनी चरणों में जगह जरा सी दे देना।
है ओम शरण में नाथ तेरी संग श्याम मंडल भी आस करे।
नीज आशिर्वाद हमें देकर जग में हमें कुछ तो बना देना।
गुरु देव हमें अपने चरणों में जगह जरा सी दे देना
रजनी सिंह
यह हकीकत हैं कि लोकगीत के भाव,रस बाकी सारे गीतों से अलग होते हैं
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गुरु का महत्व कभी होगा ना कम,
भले कर ले कितनी भी उन्नति हम,
वैसे तो है इंटरनेट पे हर प्रकार का ज्ञान,
पर अच्छे बुरे की नहीं है उसे पहचान…
सोच में पड़ गया किस पंक्ति को ज्यादा खूबसूरत कहूँ।लाजवाब लिखा है।
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धन्यवाद मधुसूदन जी। वैसे मैंने ये कविता नहीं बनाया है किसी और का लिखा पर मुझे नाम नहीं मालूम। बस कहीं पढ़ा था लिख दिया इसलिए जो भी लिखा हो उसको क्रेडिट जाता है।
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Aapne padhaya ….bahut khub..
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शिक्षा आवश्यक है तो
गुरु सत्य मे महान है
जिनसे मिली ज्ञान से
जीवन के साथ जहान है
श्री गुरूवे नमः
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धन्यवाद नागेश्वर जी। श्री गुरुवे नमः
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