कार्यक्रम की संचालिका रुचि सिंह ने रजनी अजीत सिंह को कुछ कहने और अपने पुस्तक से एक कविता का वाचन करने को कहा। रजनी अजीत सिंह ने उपस्थित सभी अतिथियों को अभिन्नदन करते हुए अपने शिक्षा दीक्षा से अवगत कराया।
उन्होंने कहा कि उदय प्रताप कालेज से सन 1998 में एम. ए. हिंदी साहित्य से किया। उस समय हिंदी विभाग में डा. राम बचन सिंह,
स्वर्गीय विश्वनाथ प्रताप सिंह, डा. जयनारायण तिवारी, राम सुधार सिंह, डा. मधु सिंह थी। रजनी अजीत सिंह को बहुत दुख था कि तिवारी सर और विश्वनाथ सिंह विमोचन में नहीं थे पर उनकी तस्वीर आशिर्वाद हेतु लगाई गई थी। रजनी अजीत सिंह ने’जिंदगी के एहसास’ नाम की पुस्तक पृष्ठ संख्या 22 शीर्षक “हमे अपने आप से लड़ना होगा” का स स्वर वाचन किया –
बाधाएं आये चाहे जिंदगी में जितनी हमें अपने आप से लड़ना होगा।
घिरकर आयें घनघोर घटाएँ, बढ़ जाये प्रलय आने की आशंकाएं इन सब से आगे बढ़ टकराना होगा।
मंजिल पाने की दिशा में, चाहे भड़कती ज्वालाएं हो, पांव के नीचे अंगारे हो, बढ़ता तुफान हो इन सबसे टकराना होगा।
जिन हाथों में झूला झूलें, जिनके गोद में लोरी सुन के सोये सूूकूंन से सब कुछ भूलाकर,
उसके सपनों के वास्ते हँसते हँसते कदम से कदम मिलाकर चलना होगा।रुदन को हास्य में, दुःख को सुख में बदलना होगा।
वीरानों को उद्यानों में, पीड़ाओं में भी सुख का एहसास कर पलना होगा।
माँ के सपनों और शांति के लिए कदम से कदम मिलाकर चलना होगा।
रजनी अजीत सिंह ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि वे लिखने के लिए कैसे प्रेरित हुई। इनकी शिक्षा उदय प्रताप कालेज से प्राप्त हुई। जहाँ इनको बोलने का अवसर मिलता था तो मैं हरिवंशराय बच्चन, निराला जी, जयशंकर प्रसाद के रचनाओं का ही चुनाव करती थी। 1998 में मेरे गुरु राम बचन सर का विदाई समारोह का आयोजन किया गया था
जिसमें शिव प्रसाद सिंह आये हुए थे इन्होने कहा कि मैं उनकी रचना अपने कोर्स के बुक में ‘कर्म नाशा की हार पढ़ा था। जब उनसे पहली बार मिली तो जैसे लगा कोई सपना पूरा हो गया, वर्षों की तमन्ना पूरी हो गई और मैं उनसे काफी प्रभावित हुई थी।
शिवप्रसाद सिंह का जन्म 1939 जलालपुर बनारस में हुआ था। इनका उपन्यास-अलग अलग बैतरणी, गली आगे मुड़ी है, नीला चाँद, आदि अलग अलग विधा जैसे उपन्यास, कहानी, निबंध, आलोचना इन्होने लिखा है जिसको पढ़कर मन भाव विभोर हो उठता है। आगे मेरी इच्छा है कि मैं आने वाले समय में अलग अलग विधाओं में रचना करुं आप लोगों के आशिर्वाद से।
अन्तिम में रजनी सिंह ने कहा कि मुझे नहीं पता मेरी कविताएँ कैसी हैं इसमें कितनी त्रुटि है पर इतना जानती हूँ कि ये मेरा सपना और पल पल का एहसास है इसमें जो भी त्रुटि होगी अपना शिष्य बना कर मुझे मार्ग दर्शन करने की कृपा बनाये रखें।
उसके बाद गुरुजनों ने रजनी अजीत सिंह को अपने गरिमामय शब्दों से उन्हें प्रोत्साहित किया जिसका विवरण संक्षेप में दिया जा रहा है।
रजनी अजीत सिंह की अभिव्यक्ति ‘जिंदगी के एहसास “का लोकार्पण हुआ।
कविता गहन अनुभूतियों की अभिव्यक्ति होती है। कवि अपने आस-पास के परिवेश और उसके विसंगतियों को देखकर उसे आत्मसात करता है और शब्दों के माध्यम से व्यक्त करता है। उक्त बातें शिवपुर सेंट्रल जेल के पास स्थित विक्रम पैलेस होटल में कवयित्री रजनी अजीत सिंह की काव्य कृति ‘जिदंगी के एहसास’ के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में
डा. राम बचन सिंह ने कवियत्री रजनी सिंह की कविताओं में अभिव्यक्त विचारों की प्रशंसा करते हुए बताया कि इन कविताओं में समकालीन महत्वपूर्ण समस्याओं को उठाया गया है।
विशिष्ट अतिथि डा. राम सुधार सिंह ने बताया कि रजनी अजीत सिंह की कविताएँ हमें आश्वस्त करती हैं कि इसकी भाषा सरल होते हुए भी प्रभाव छोड़ती हैं। उदय प्रताप कालेज हिंदी विभाग की अध्यक्ष डा. मधु सिंह ने कहा कि
आज के समय में लोग साहित्य से दूर होते जा रहे हैं इस कारण अशांति है कविता हमें संस्कारित करती है। इस अवसर पर इनकी सहेली पींकी चतुर्वेदी ने कहा कि
मैं रजनी अजीत सिंह को 1997 से जानती हूँ। उनकी कविताओं में झंझावात, पीड़ाएं, समाज से लड़ने का अंतर्द्वंद जो भी दिखाई देता है वो कहीं न कहीं उनकी अपनी ज़िंदगी की भी सच्चाई रही है जो आज कविता के माध्यम से हमारे सामने है। इस अवसर पर
अजीत सिंह ने कहा कि कवियत्री रजनी सिंह कविताओं का संकलन उनके धैर्य और रजनी के परिश्रम का फल है।
श्रीमती गायत्री देवी,
नितेश सिंह, नेहा सिंह,
अभिनव सिंह, सृजन सिंह, विशेष सिंह ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग दिया। कार्यक्रम का संचालन
रुचि सिंह ने तथा धन्यवाद के साथ समापन अजीत सिंह ने किया।
विस्तृत जानकारी “जिदंगी के एहसास” के विमोचन भाग – 3 किया जायेगा।
रजनी अजीत सिंह 13.11.2018
Bahut bahut badhai,
Isi tarah likhte rahe,
Aur hame incourage karte rhiye
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बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏
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Bahut bahut badhayeeyan aapne ek saath do do pushtakon ko prakashit kiya…..aise hi aage badhte rahen aur roj nayee kavitaayen gadhte rahen.
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बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
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