ये किसकी याद है जो जिंदगी के सफर में साथ चलना चाहता है।
और बस इतना ही नहीं साथ चलकर गमों के दरिया में डूब जाने के बाद भी खुश रहना चाहता है।
रजनी अजीत सिंह 6.10.2018
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#साथ
#दरिया
महीना: अक्टूबर 2018
जिदंगी का सफर
जिदंगी का सफर हमको रास आ गया,
साथ चलने की आदत हमें पड़ गया।सादगी से भरा सीधा- सादा सफर,
साथ उनका मिला जिदंगी सकूं से कट गया।
उफ ये कठिनाइयां जो सफर में मिला,
सहनशक्ति हमारा बढ़ाता गया।
आज वो जो चलते हैं जिंदगी के सफर में,
ख्वाहिशें भी हमारा पूरा हो गया।
जिदंगी का सफर हमको रास आ गया।
रजनी अजीत सिंह 4.10.2018
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जिंदगी- ए-सफर का मंजिल
प्यार को मंजिल मानने वाले जिदंगी के सफर में,
बहते रहेंगे हम यूहीं ताउम्र प्यार से थामे एक दूसरे का हाथ…..
मन में उठती चाहत की लहरें तय करती रहेंगी प्यार रुपी एहसास का साहिल…..
समय के साथ – साथ हमारी चाहत दूर दूर तक छोड़ जायेंगी अपने कदमों की अमीट निशाँ…..
और छा जायेगा दुनिया में प्रकाश बनकर एक – दूसरे का साथ हमेशा के लिए,
वक्त के साथ- साथ हमेशा प्यार ही रहेगा हमारा मंजिल……
कहीं भी हो प्यार का एहसास ही एक दूसरे को मजबूत डोर से बाधें रहेगा,
खुशियां बाँटकर खुशी से जीना ही होगा हमारे मकसद रुपी प्यार का मंजिल…..
रजनी अजीत सिंह 4.10.2018
“जिदंगी के एहसास “
जिदंगी में परिश्रम करने का जूनून हो तो सफलता एक न एक दिन कदम चूमती ही है।
मेरी आने वाली बुक का कवर डिजाइन।
रजनी अजीत सिंह 18. 9. 18
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