जिंदगी में “स्वाभिमान”

झुकने की आदत इसलिए डाला ताकि अंहम न आ जाये।
पर झुकते झुकते अब दिल डरता है कि झुकने की आदत से कहीं स्वाभिमान न चला जाये।
सुना तो है फल लगने पर डाली का झुकना प्रवृत्ति है।
पर ये आँखें जो करीब से देखती है कि ज्यादा फल लगने से बिना सहारा की डाली टूट जाती है।
रजनी अजीत सिंह 7.6.18
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