जिंदगी में बनारस के हादसे से तड़प उठी लेखनी।

कहीं जीत तो कहीं हार है।
कहीं जीवन तो कहीं मरण है।
ये राजनीति है पार्टियां अपने जीत की आज ही खुशी मना रही है।

काशी वासी फ्लाईओवर के पिलर गिरने से आज ही मौत के नींद सो रही है।

मीडिया भी अपने अपने हिसाब से राजनीति का ही खेल रही है।
कोई कहेगा इसके सत्ता में कोई कहेगा उसकी सत्ता में घटना दुर्घटना हो रही है।
सच तो ये है छोटा या बड़ा ऊपर से नीचे तक लेकर ऊपरी इनकम पर खुश हो रही है।
ये ऊपरी इनकम क्या होता है जरा सी लक्ष्मी कमाने के खातिर कितनी जाने जा रही है।
इसका होता भान तो महीने के तनख्वाह में ही सब संतोष कर दुनिया की खुशियां पा रही होती।
बस “रजनी” की इतनी अर्ज है यदि काशी में मरने पर सच में शिव की नगरी में मुक्ति मिलती है तो इतना तो अवश्य करना आत्मा के शांति के साथ ही साथ इस धरती पर दोबारा पाप का बोझ उठाने को दोबारा जन्म नहीं देना।
ईश्वर आज के दिन स्वर्गवास हुए लोगों की आत्मा को शांति दें।
रजनी अजीत सिंह (वाराणसी) 15.5.18
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11 विचार “जिंदगी में बनारस के हादसे से तड़प उठी लेखनी।&rdquo पर;

  1. बस “रजनी” की इतनी अर्ज है यदि काशी में मरने पर सच में शिव की नगरी में मुक्ति मिलती है तो इतना तो अवश्य करना आत्मा के शांति के साथ ही साथ इस धरती पर दोबारा पाप का बोझ उठाने को दोबारा जन्म नहीं देना।
    दुःखद साथ ही जबरदस्त कटाक्ष।

    होता जश्न कहीं पर मातम,
    आहें,चीख कहीं सिंघासन,
    जनता का शासन है लोकतंत्र सब कहते हैं,
    देखो चीख रही है जनता नेता हँसते हैं।।

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  2. रजनी जी आप बहुत बहादुर है के आपने ये पोस्ट किया है, हम तो ऐसे हादसे बर्दाश नही करपाते..
    ज़िन्दगी मैं यही कुछ वजह है के हमे शक होता है भगवान के अस्तित्व पे।आप ठीक है ना ? हम आपके ब्लॉग को जेनुअरी से फॉलो कररहे है। आप बहोत अचे लिखते है, किसी के कमैंट्स पे ध्यान न दीजिये।

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    1. धन्यवाद आपका जो आपने पढ़ा। बहादुर तो तब होते जब किसी की मदद कर पायी होती बस लेखनी से शोक ही व्यक्त कर पायी इस में कैसी बहादुरी। हम तो ठीक हैं पर जाने कितने लोग काल के गाल में समा गए। 😢

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    1. ये आपकी हंसी की इमोजी मौत से जूझने वाले के लिए है मुझे समझ में नहीं आया आपको कम से कम भाव समझ दुःख व्यक्त करना चाहिए। माफ कीजिएगा मैं बनारस से हूँ आज की दुर्घटना को बहुत करीब से देखा है।

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