जब मेरे दुःखो की कश्ती सैलाब में आ जाती है।
तो माँ दुःखो से उबारने के लिए दुंआ करते हुए ख्वाब में आ जाती है।
रोज मैं लेखनी से खत लिख माँ से फरियाद करती हूं।
और जब लिखते हुए दर्द मन (दिल) और उंगली में होता है।
तो माँ दर्द को महसूस कर टूटे दिल पर सहलाने और मरहम रखने आकार बैठ जाती है।
सबके गलतियों का सबब मन से निलता ही नहीं।
जिंदगी रुठकर खुद ही माँ की पनाहो और यादों तक आ जाती है।
लिखकर रातभर जागने का शिला है शायद।
मेरी माँ और सब रिश्तों की तस्वीर मेरे सामने आ जाती है।
कभी खुशी से बसर करता था पूरा परिवार।
आज हम टूटे और दूर हैं तो दुनिया झूठी दलिलो से दिले बेताब करने आ जाती है।
जिंदगी भिखारिन की तरह हो गयी अपनी और सबकी।
अब तो जिंदगी बस रेशमी कपड़े पहन ख्वाब में आ जाती है।
दुनिया के फरेब से उपजा दुख देख छलक उठती हैं मेरी आंखें।
सर्दी से दिल और छाती वैठ जाती है मगर जिंदा रहने का हुनर” रजनी ” सीख जाती है।
रजनी सिंह
bahut hi bhawnatamak rachna Rajni ji bahut khub aap hamesha khush raho aabaad raho
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धन्यवाद आपका जो आपने मुझे दुंआऐं दी।
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Bahot badiya..mata Rani apko Khush rakhein..
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धन्यवाद दीप्ति जी।
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haa….ab sahi raha mere hisaab se jo nahi padhaa padh legaa …….waise aisaa karne se purana date kaa prakashan khatm ho jaataa hai….
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धन्यवाद मधुसूदन जी बताने के लिए। वैसे भी मैं डेट डॉलर ही लिखती हूँ। क्या फर्क पड़ता है पुराने डेट रहे न रहे।
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badhiya……
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kya baat bahut khub rajni ji bahut khhub
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धन्यवाद अंसारी जी जो आपने पढ़ा और सराहा।
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धन्यवाद मधुसूदन जी। विना भाव की तो लेखनी चल ही नहीं सकती न। अब जो रस का भाव आ जाय बस महसूस कर लिख देती हूँ।
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aapke bhi lekhni men dard chhipa hota hai…..bahut hi khubsurat likha hai.
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जय माता दी
जय राधे कृष्ण
जय बजरंगबली
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जय माता दी। धन्यवाद जो आपने पढ़ा और सराहा।
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Very god
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Thank you.
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