आओ मेरी सखियों, मुझे मेंहदी लगा दो।
मेंहदी लगा दो मुझे ऐसी सजा दो।
मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो।
सत्संग ने मेरी बात चलाई सद्गुरु ने मेरी कीनी रे सगाई।
उनको बुलाके हथ लेवा तो करा दो।
मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो।
ऐसी पहनू चूड़ी जो कबहूं न टूटे।
ऐसा वरु दूल्हा जो कबहूं न छूटे।
अटल सुहाग की बिंदिया लगा दो। मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो।
ऐसी ओढूं चूंदरी जो रंग न छूटे।
प्रीत का धागा कबहूं न टूटे।
आज मेरी मोतियों से मांग भरा दो।
मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो।
भक्ति का शुरमा मैं आंख में लगाऊँगी।
दुनिया से नाता तोड़ उन्हीं की हो जाऊंगी।
सद्गुरु बुलाके फेरे तो पड़ावा दो।
मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो।
बांध के घुंघरू मैं उनको रिझाऊंगी।
लेके एक तारा मैं श्याम – श्याम गाऊंगी।
सद्गुरु को बुलाके डोली तो सजवा दो।
सखियों को बुलाके विदा तो करा दो।
आओ मेरी सखियों मुझे मेंहदी लगा दो। मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो।
ये गाना मैं अपने माँ से सुनी थी और उनके साथ गाती थी।
रजनी सिंह
Bfully written Rajni ji…loved reading it
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Thank you.
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धन्यवाद अंसारी जी।
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bahut hi sundar rachna Rajni ji
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bahut hi badhiya bhajan……mujhe shyaam sundar ki dulhan banaado….
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धन्यवाद मधुसूदन जी।
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बेहद खूबसूरत !!! चित्र भी सुंदर है.
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धन्यवाद रेखा जी।
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😊😊
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Bhut hi Sundar geet Hai ye !
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Dhanyabad.khushiki bat hai Jo aap ko pasand aaya
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं} 🙏🙏
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आपको भी जन्माष्टमी की शुभ कामनाएँ।
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बहुत धन्यवाद आपका मैम
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आपकी ये रचना राधाकृष्ण जी जितनी ही सुंदर और प्यारी हैं।
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इसे गाने वाली का नाम भी सयोंग से कृष्णा ही है अर्थात् मेरी चचेरी बुआ का नाम है।
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बहुत ही सुंदर संयोग है ये तो।
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और मेरी जन्म देने वाली मां का नाम सुदामा ही था।
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बहुत ही सुंदर दी।
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धन्यवाद भाई।
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आपका स्वागत है दी।
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