श्रेणी: दिवस के रूप में मनाया जाने वाला पर्व

हिंदी दिवस

हिंदी हम सबकी गौरव की भाषा, तभी तो बनी हमारी राज्य भाषा।

जन जन में जब प्रिय बने तब हिंदी देश की स्तम्भ बने।

हर वर्ष चौदह सितम्बर को हिंदी दिवस मना, लोगों की मातृभाषा बन हमें जागरुकता का पाठ पढ़ाती।

हिंदी है तो वतन है इस आशा की ज्योति जगाती।

पूरी दुनिया में डंका बजती क्योंकि हम हिंदी भाषी हैं।

जब बने हिंदी हमारी राज्य भाषा से राष्ट्र भाषा तब ये सम्मानित हो, हम सबकी यही अभिलाषा है।

आओ हम सब शपथ ले सदा मने हिंदी दिवस का हर दिन ही जलसा।

काश्मीर से कन्याकुमारी तक राष्ट्र भाषा हिंदी हमारी है, साहित्य की ये फुलवारी है।

अंग्रेजी से लड़े जंग ये सम्मान की अधिकारी है।

जन जन में मशहूर हो क्यों कि हिंदी ही पहचान हमारी है।

हिंदी ऐसी भाषा है जो सपने हमें दिखाती, सुख दुःख लिख कर एक नया सृजन कराती।

बिना हिंदी के हिंदुस्तान की कल्पना नहीं हो सकती हमारी है, क्योंकि सारे जग की लाडली भाषा हिंदी हमारी है।

हिंदी दिवस के अवसर पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।

रजनी अजीत सिंह 14.9.2019

हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा नहीं बल्कि केवल ये राज भाषा और मातृ भाषा ही है।

इसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं –

राष्ट्रभाषा- वह भाषा जो एक पूरे राष्ट्र अथवा देश द्वारा समझी, बोली जाती है; तथा उस राष्ट्र की संस्कृति से संबंधित होती है। यह पूरे देश की होती है।

राजभाषा- राज अर्थात् शासन के द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली भाषा। यह सरकार की भाषा होती है, अतः यह केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के आधार पर एक ही अथवा भिन्न-भिन्न भी हो सकती है।

भारत में अधिकांश लोग हिंदी को राष्ट्रभाषा मानते हैं. देश की सर्वाधिक जनसंख्या हिंदी समझती है और अधिकांश हिंदी बोल लेते हैं. लेकिन यह भी एक सत्य है कि हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है ही नहीं ये हमारी मातृ भाषा है।

हिंदी को राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर, 1949 के दिन मिला था. तब से हर साल यह दिन ‘हिंदी दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे एक वजह है. आइए जानते हैं इससे जुड़ी अहम बातें.
हिंदी भारतीय गणराज की राजकीय और मध्य भारतीय- आर्य भाषा है. 2001 की जनगणना के अनुसार, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय हिंदी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं, जबकि लगभग 42.20 करोड़ लोग इसकी 50 से अधिक बोलियों में से एक इस्तेमाल करते हैं.

1998 के पूर्व, मातृभाषियों की संख्या की दृष्टि से विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं के जो आंकड़े मिलते थे, उनमें हिंदी को तीसरा स्थान दिया जाता था.
हिंदी की प्रमुख बोलियों में अवधी, भोजपुरी, ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमांऊनी, मागधी और मारवाड़ी भाषा शामिल हैं.

कैसे हिंदी बनीं राजभाषा-

साल 1947 में जब अंग्रेजी हुकूमत से भारत आजाद हुआ तो उसके सामने भाषा को लेकर सबसे बड़ा सवाल था. क्योंकि भारत में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती है. 6 दिसंबर 1946 में आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान का गठन हुआ. संविधान सभा ने अपना 26 नवंबर 1949 को संविधान के अंतिम प्रारूप को मंजूरी दे दी. आजाद भारत का अपना संविधान 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में लागू हुआ.

लेकिन भारत की कौन सी राष्ट्रभाषा चुनी जाएगी ये मुद्दा काफी अहम था. काफी सोच विचार के बाद हिंदी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की भाषा चुना गया. संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी हिन्दी को अंग्रजों के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी।
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि इस दिन के महत्व देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाए. बतादें पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 में मनाया गया था।

मित्रता दिवस

साथ बैठकर जब कुछ गप-शप करतें हैं तो मित्रता जीने का सलीका सीखा ही जाती है।
कोई कितना भी बत्तमीज क्यों न हो मित्रता तमीज का पाठ पढ़ा ही जाती है।
एक दूसरे का साँस बनकर साथ निभाने का हुनर मित्रता बता ही जाती है।
सबकुछ छोड़कर बातें आज हो जाये मन की कुछ तुम कहो कुछ हम कहें।
मित्र हर राज से वाकिफ हो ये भी जरूरी है, बात करने की चाहत हृदय की आज के दिन क्यों अधूरी हो?
दूर होकर भी मन के बहुत करीब होते हैं, गम में चाहे जितने डूबे हों मित्र अपनी ऊल- जलूल बातों से खुशी विखेर ही जाते हैं।
आज के दिन ये आस हमारी पुरी हो, कृष्ण सुदामा सा मित्रता हमारी हो।
मित्रता दिवस के अवसर पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
रजनी अजीत सिंह 4.8.2019
#मित्रता_दिवस
#शुभकामनाएं

हिंदी दिवस

न पोयम बनाती हूँ न स्टोरी सुनाती हूँ,
आज हिंदी दिवस पर थोड़ी सी कविता बनाती हूँ और कहानी सुनाती हूँ।
न अंग्रेज हूँ कि अंग्रेजी है मुझे आती, न फ्रांस की रहने वाली की फ्रेंच है आती।
हम हिन्दुस्तानी ठहरे अच्छे से हिन्दी लिख, पढ़ और बोल लेते हैं।
आजकल हिन्दुस्तान भी इंग्लिश बोलने के खातिर मशहूर है होता।
कोई इंग्लिश को अपनी गर्लफ्रेंड बना लेता। मैं ठहरी हिन्दुस्तानी हिन्दी को माँ बना लेती।
अंग्रेजों की हुकूमत अंग्रेजी भाषा बोलने सीखाना था।
मगर मुझे हिन्दुस्तान में हिन्दी मशहूर हो कैसे ये सिखना सिखाना है।
मेरे हिन्दुस्तान की गलियों गलियों में तमन्ना है हिन्दी बने सबकी मातृ भाषा।
मगर भारतीय तो ऐसे हैं जो इंग्लिश बोलना सिखता सिखाता है।
सजा कितनी बड़ी मिली गांव शहर से बाहर निकलने की।
मेरी माँ हिन्दी सिखाती थी अब मैं बच्चों से इंग्लिश पढ़ती और सिखती सिखाती हूँ।
हिन्दी दिवस पर चन्द घंटों के खातिर इंग्लिश पर हिन्दी भारी है पड़ती।
मैं तो देखती हर रोज भारतीयों को अपनी संस्कृति और खाना भी नहीं भाता।
भारतीय अपने बच्चों को पाश्चात्य संस्कृति और पीजा, वर्गर और चाइनीज खाना खाने है सिखाता।
बस इतना सी इल्तिजा है हिंदुस्तानी लोगों से की हिन्दुस्तान से मुझे इंग्लिशतान न करना।
हर हिन्दुस्तानी को गर्व से हिन्दुस्तानी होने का पाठ पढ़ाती हूँ।
रजनी अजीत सिंह 14.9.18

जिंदगी में “2018का पन्द्रह अगस्त “

देख तिरंगा अपना सर गर्व से ऊँचा हो जाता है।
जन-गण-मन की धुन सुनकर सब सम्मान में उठ खड़ा हो जाता है।
शूर-वीरों ने अपना प्राण दिया उनके सम्मान में सर अपने आप झुक जाता है।
समझा सबकुछ देश को ही अजादी चाहने वालों ने अपनी जान और स्वार्थ की परवाह नहीं की थी।
पर आज देश की हालत देख मन मेरा रोता है।
आज देश के कितने लोगों को बस अपना स्वार्थ ही भाता है।
कोई छप्पन भोग करे तो कोई रोटी को तरस जाता है।
जाति-धर्म को लेकरके बस अपने स्वार्थ के लिए नारा लग जाता है।
नहीं याद उनको की अजादी दिलाने वाले शूर-वीर हर धर्म के सपूतों ने अपना जान गंवाया था।
कम से कम उनके सम्मान में जाति-धर्म को लेकर देश के टुकड़े ना करते।
जाति धर्म से पहले सब अपने देश को ऊपर ही रखते।
उसी को देश का नायक चुनते जो देश की उन्नति कर उसको शिखर पर ले जाते।
रजनी अजित सिंह 14.8.18
15अगस्त के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं।
🇮🇳🇮🇳जय हिंद, जय भारत। 🇮🇳🇮🇳
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बाल दिवस 

हम 14नवम्बर को नेहरू जी का जन्म दिन मनाते हैं।
आज का दिन ही बाल दिवस के नाम से जाना जाता है।
बच्चों के बीच खेल कूद नेहरू जी खुद बच्चा बन जाते थे।
इसलिए तो बच्चों के बीच चाचा नेहरू कहलाते थे।
बाल दिवस हर साल ही मनता पर बाल मजदूरी करना छोड़ बच्चे कितने शिक्षित हो पाते हैं।
कुपोषण के हो शिकार और गरीबी से कितने बच्चे तड़प तड़प मर जाते हैं।
बाल दिवस सही मायने में तब मनता, जब हर बच्चों को शिक्षा मिलती। बाल मजदूरी ना होती।
उनका भविष्य भी उज्ज्वल होता, तब बाल दिवस हर दिन ही होता जीवन बच्चों का सवंर जाता। ।
बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
रजनी अजीत सिंह
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हिंदी दिवस पर हिंदी को माँ बनाती हूँ।( 14.9.17)

न पोयम बनाती हूँ न स्टोरी सुनाती हूँ,

आज हिंदी दिवस पर थोड़ा सा कविता बनाती हूँ और कहानी सुनाती हूँ। 
न अंग्रेज हूँ कि अंग्रेजी है मुझे आती, न फ़ास की रहने वाली की फे़च है आती। 

हम हिन्दुस्तानी ठहरे अच्छे  से हिन्दी लिख, पढ़ और बोल लेते हैं। 

आजकल हिन्दुस्तान भी इंग्लिश बोलने के खातिर मशहूर है होता। 

कोई इंग्लिश को अपनी गर्लफ्रेंड बना लेता। 

मैं ठहरी हिन्दुस्तानी हिन्दी को माँ बना लेती। 

अंग्रेजों की हुकूमत अंग्रेजी भाषा बोलने सीखाना था।

मगर मुझे हिन्दुस्तान में हिन्दी मशहूर हो कैसे ये सीखना सीखाना था। 

मेरे हिन्दुस्तान की गलियों गलियों में तमन्ना है हिन्दी बने सबकी मातृ भाषा। 

मगर भारतीय तो ऐसे हैं जो इंग्लिश बोलना सीखता सीखलाता है। 

सजा कितनी बड़ी मिली गांव शहर से बाहर निकलने की। 

मेरी माँ हिन्दी सीखाती थी अब मैं बच्चों से इंग्लिश पढती और सीखती सिखाती हूँ। 

हिन्दी दिवस पर चन्द घंटों के खातिर इंग्लिश पर हिन्दी भारी है पड़ती। 

मैं तो देखती हर रोज  भारतीयों को अपनी संस्कृति और खाना भी नहीं भाता। 

भारतीय अपने बच्चों को पाश्चात्य संस्कृति और पीजा, वर्गर और चाइनीज खाना खाने है सिखाता। 

बस इतना सा इल्तिजा है हिंदुस्तानी लोगों से की हिन्दुस्तान से मुझे इंग्लिशतान न करना। 

हर हिन्दुस्तानी को गर्व से हिन्दुस्तानी होने का पाठ पढाती हूँ। 

मुझे तो शहर और इस देश के लोग हिन्दी बोलने से गंवार है कहते। 

मगर हम बच्चों को शान से हिन्दुस्तानी कह हिन्दी सिखाते हैं। 

      🇮🇳 रजनी सिंह 🇮🇳

शिक्षक दिवस 6.9.17

शिक्षक दिवस

विश्व के कुछ देशों में शिक्षकों (गुरुओं) को विशेष सम्मान देने के लिये शिक्षक दिवस का आयोजन होता है। कुछ देशों में छुट्टी रहती है जबकि कुछ देश इस दिन कार्य करते हुए मनाते हैं। 

भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन (५ सितंबर) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

शिक्षक

 में दो गुण निहित होते हैं – एक जो आपको डरा कर नियमों में बाँधकर एक सटीक इंसान बनाते हैं और दूसरा जो आपको खुले आसमा में छोड़ कर आपको मार्ग प्रशस्त करते जाते हैं.

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जन्म दाता से ज्यादा महत्व शिक्षक का होता हैं क्यूंकि ज्ञान ही व्यक्ति को इंसान बनाता हैं जीने योग्य जीवन देता हैं.

अनजान बना दिया
उनकी ऐसी कृपा हुई
गुरू ने मुझे एक अच्छा
इंसान बना दिया

ले गए आप इस स्कूल को उस मुकाम पर ,
गर्व से उठते हैं हमारे सर , हम रहे ना रहे कल ,
याद आएंगे आपके साथ बिताये हुए पल ,
हमे आपकी जरुरत रहेगी हर पल।

गुरु का महत्व कभी होगा ना कम,
भले कर ले कितनी भी उन्नति हम,
वैसे तो है इंटरनेट पे हर प्रकार का ज्ञान,
पर अच्छे बुरे की नहीं है उसे पहचान…

तुमने सिखाया ऊँगली पकड़ कर चलना,
तुमने सिखाया कैसे गिरने के बाद सम्भलना,
तुम्हारी वजह से आज हम पहुंचे है आज इस मुकाम पे,

ये नीचे की तस्वीर हमारे गुरु जो यू. पी. कालेज के हिन्दी विभाग में कार्यरत थे और कुछ हैं। इनका नाम रामसुधार सर, विश्वनाथ सर, रामबच्चन सर, तिवारी सर, और मधु मैडम की है। जिन्होंने हमारे शिक्षा – दीक्षा में भरपूर योगदान दिया है और हमें आज उन्हीं के प्रेरणा से कुछ लिखने का सौभाग्य मिला है। मेरा मेरे गुरु जी लोगों को प्रणाम। 🙏💐🙏💐🙏💐🙏💐

💐🙏💐🙏💐🙏

वैसे मेरे जीवन में और विचार में माँ ही  सबसे पहले गुरु है। लेकिन समाज के मान्यताओं के अनुसार पहले गुरु की वंदना। अब कहा भी गया है – 

गुरु गोविंद दो खड़े काके लागों पाँव।

बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।। 

इस लिए मैं अब गुरु स्तुति करुंगी। 

गुरु जी की ये स्तुति मैं जब नौ में पढ़ती थी यानी 19सौ88से कहीं से लिखी थी जो आज भी गाती हूँ। 

    ( गुरु स्तुति) 

गुरु जी शरण आ गये रखना मेरी लाज। 

कारज सारा सिध्द करो, अर्ज करूँ महाराज।। 

गुरुदेव हमें अपने चरणों में जगह जरा सी दे देना । 

सद्बुद्धि हमें तो सदा देना अवगुण से दूर सदा रखना। 

अगर भटक जाय हम कभी कहीं आकर के राह दिखा देना। 

तेरी धूलि नित पाये हम तो रई संगति हर पल चाहे हम। 

चाहे पास रहे चाहे दूर रहें  सदा हाथ हमारे सिर रखना। 

गुरु देव हमें अपनी चरणों में जगह जरा सी दे देना। 

काशी राम गुरु अपने सदा श्याम भजन में मग्न रहते। बड़े भाग्य से गुरु ऐसे मिलते तन मन धन सब अर्पण करते। 

गुरु देव हमें अपनी चरणों में जगह जरा सी दे देना। 

है ओम शरण में नाथ तेरी संग श्याम मंडल भी आस करे। 

नीज आशिर्वाद हमें देकर जग में हमें कुछ तो बना देना। 

गुरु देव हमें अपने चरणों में जगह जरा  सी दे देना

 रजनी सिंह 

योगा दिवस 21.6.17

जितना जीवन के  दिन नहीं उतना  कोई न  कोई  दिवस चला आता है। 

और रुकी हुई लेखनी को कुछ लिखने का बहाना बन जाता है।    ये जीवन में प्राण बन संयम  सीखलाता   है। 

 पर श्रमकराकर योगा बहुत थकाता  है।  

पर जब स्वथ शरीर में फुर्ती आ जाता   है। 

 तो योगा जी को  बहुत भा जाता है। 

     योगा  दिवस के बधाई   के  साथ 

                     रजनी सिंह 

फादर्स डे का महत्व18.6.17

वैसे आज के दिन फादर्स  डे मना  रहे हैं। वे उसके लिए है जो  दूर  है या किसी कारण से बात  नहीं हो पाती है तो इसीलिए इसी बहाने  याद कर लेते हैं  लोग। मेरा मानना है मदर्स डे, फादर्स  डे प्रत्येक दिन होना  चाहिये। मदर्स डे, फादर्स  डे इज इवरी डे। 

माँ – बाप के त्यागो  को हम  एक दिन मना, 

अपना  फर्ज अदा कर  सकते  नहीं । 

पूरा जीवन अर्पण कर  भी उनका कर्ज अदा कर  सकते  नहीं। 

 इसी  लिए कहती है रजनी 

हर  दिन माँ – बाप का गोद  और उनसे हमें प्यार मिले। 

हर  दिन माँ – बाप को सम्मान मिले   और  हर  दिन माँ – बाप का  दिन मने। 

               कविता 

जिसके पास माँ – बाप नहीं उसका दर्द।

जिसने   दुःख ही दुःख देखा वो सुख की कीमत क्या जाने। 

धूप में जलते पांव है जिसके वो छांव की कीमत क्या जाने। 

जिसके मां-बाप पास में हैं माँ-बाप दूर होने की कीमत क्या जाने। 

जिस सिर पर बाप का हाथ नहीं वो बाप के होने की कीमत क्या जाने। 

      साथ हैप्पी फादर्स  डे। 

       माँ  बाप की सेवा  में उपस्थित 

                      रजनी सिंह 

       मदर्स डे (14.5.17)

माँ   का दिन तो हर दिन है। मेरी तो शुरूआत ही प्रत्येक दिन माँ के चरणों के वंदना से होता है। इसलिए कहना चाहूंगी मदर्स डे इज इवरी डे। ताकि कम से कम समाज में माँ को हर दिन सम्मान मिले और जिनलोगों को  हर दिन भूलकर केवल मदर डे पे माँ की महानता समझ में आता है उन्हें प्रत्येक दिन माँ की महानता को समझने का उपहार मिले और सेवा का अवसर मिले। मैं मदर्स डे पर अपनी माँ और देवी माँ से यही प्रार्थना करूगीं की हर दिन बेटे – बेटी को माँ की गोद मिले और माँ को हर दिन बेटे – बेटी से प्यार मिले। 

  लताओं फूल बरसाओ हमारे माँ का दिन आया। 

ए कोयल मीठे स्वर गाओ हमारे माँ का दिन आया। 

लगी थी आशा सदियों से मिला है आज वो मौका। 

निभाने अपने वादे को पधारी खुद मेरी माता। 

मेरे कष्टों को हरने माँ वो नंगे पांव आयी है। 

करूं कैसे तेरी स्वागत न मन फूला समाता है। 

कहां जाऊँ मैं क्या लाऊँ, समझ कुछ भी न आता है। 

मुझे अपने ही रंग में रंग दो की तेरा मान बढ़ जाए। 

न चाहिए धन दौलत मुझको तुम्हारा प्यार चाहत है। 

मेरे सिर हाथ हो तेरा, यही वरदान चाहत है। 

लताओं फूल बरसाओ हमारे माँ का दिन आया।                            रजनी सिंह