टूटन

जरुरत से ज्यादा झुकने से कमर टूट जाता है।
मगर फिर टूट कर भी आदमी जिंदगी जीना सीख जाता है।
कसम है बस इतना न मुझको टूट कर चाहो,
ज्यादा कुछ पा जाने से भी गदागर टूट जाता है।
तुम्हारे यादों के शहर रहने को तो रहते हैं हम लेकिन कभी शब्द रुठ जाते हैं कभी कलम टूट जाता है।
रजनी अजीत सिंह 17.12.21