गैर हाजिर

जिंदगी से हर रिस्ते गैर हाजिर हो गये ।
इक निभाना था बाकी पर आदि और अंत हो गये।
दोस्तो और रिस्तों में बांट दी अपनी ही जिंदगी।
दोस्ती और रिस्ते अपनो में शामिल होकर मुहाजिर हो गयी।
रजनी अजीत सिंह 17.12.2021