अनगिनत विचारों विचारों के मध्य पनपती है दोस्ती।
यदि संग मिलकर बैठ जाते हैं तो अनगनित सा महका जाती है दोस्ती।
सागर की लहरों सी उमंग भर जाती है दोस्ती।
रेगिस्तान और बंजर भूमि को भी हरा भरा कर जाती है दोस्ती।
तो क्यों न अंतर्मन में उठते धुंआ को आँखों में बसे मोती की बूँदों को दोस्ती जैसे सादगी रिस्तों में समाहित कर जिंदगी के हर मोड़ पर दोस्ती जैसे रिस्ते को जिंदादिली से जी ले।
रजनी अजीत सिंह 11.4.2021
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