झरोखे से झाँकती जिंदगी

पहली पुस्तक जिंदगी के एहसास “और” शब्दों का सफर ” के माध्यम से सफलता पूर्वक समाज के सामने प्रस्तुत करने में कामयाब हुई। तीसरी पुस्तक “झरोखे से झाँकती जिंदगी मेरा वह संग्रह है जिसमें आपको कविता, भजन, गीत भी पढ़ने को मिलेगा। पढ़ने के बाद आप एहसास करेंगे कि इतिहास के क्षणों को जो पूर्वजों का हिस्सा है उसे साहित्य रुपी अतित के चल चित्र मस्तिष्क के तल में अंधकारमय कुएं से जल निकालने का प्रयास है।”जब कोई प्रिय या अप्रिय क्षण दिलो दिमाग में धंस जाती है तो प्रतिक्षण किसी न किसी पटल की तलाश करती है।
रजनी अजीत सिंह एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की पोती और भूतपूर्व सैनिक की बेटी हैं इसलिए इनके चरित्र में वीरता और साहस कूट कूट कर भरा है। बाकी आप इनका व्यक्तिव और स्वभाव इनके दोनों रचनाओं और“झरोखे से झाँकती जिंदगी ” रुपी संस्मरण को पढ़ने के बाद समझ सकते हैं।”ठेस लगी, प्यार मिला, गम मिला तो क्या हुआ? कभी कहानी, कभी कविता, कभी लेख, कभी जीवनी, कभी संस्मरण तो कभी डायरी, कभी आलोचक, और कभी भविष्यवाणी बनकर जिंदगी की हकीकत सामने आई।19.10.97से शुरू हुई ये लिखने की कहानी जाने कब तक अर्थात सांस थम जाये तब तक लिखती रहूँ।” यही रजनी अजीत सिंह की हार्दिक इच्छा है।