सपनो को मंजिल मिल गयी।

सभी को सूचित किया जाता है कि दूरदर्शन पर( डी डी नेशनल पर) 5अगस्त रात दस बजे काव्य संगोष्ठी का प्रसारण है। जिसमें मेरे गुरु डा०रामसुधार जी सु श्री हिमांशु उपाध्याय जी और एक सम्मानित महानुभाव तथा रजनी अजीत सिंह ने भाग लिया। राम सुधार जी ने कोरोना जैसे महामारी पर प्रकाश डालते हुए मैं” निरुत्तर हूँ” कविता का वाचन किया तो वही भूतपूर्व पत्रकार हिमांशु उपाध्याय जी ने गीत के माध्यम से विलुप्त होते चीजो पर प्रकाश डाला तो एक सम्मानित पी सी एस अधिकारी ओम धीरज जी ने मुक्तक के माध्यम से संगोष्ठी को सिंचित किया। तो वहीं रजनी अजीत सिंह ने अपनी पुस्तक “जिंदगी के एहसास” से जिंदगी “एक पहेली है “और नारी अबला नहीं जरूरत पड़ने पर काली भी है उसको जागरूक करते हुए अपने आने वाली तीसरी बुक “झरोखे से झांकते शब्द” की कविता जब नारी सम्मानित होगी “का वाचन किया।कविता
सपनों को मंजिल मिल गया,कांटो में फूल खिल गया।असफलता से हट सफलता मिल गया।जिंदगी कोरोना का शिकार भी हो तो गम नहीं।हमारी मां के संस्कारों का फल मिल गया।सपनो को मंजिल मिल गया,कांटो में फूल खिल गया।कोरोना तू हर दिन कहर बरसाता है,पर मुझे खुशी है, मेरे सपनों का मंजिलकरोना काल में मिल गया।तू बहुत भयानक बुहान से आया वायरस नहीं,समुद्र मंथन से निकला विष है।अब तो शिव जैसा हलाहल विष पीने वाला चाहिए।मैं पूछती हूँ धर्म मजहब के पाखंडियों से,कोई है जो शिव को साकार करने का जज्बा रखता हो,जो हलाहल विष को धारण कर ले।सब्र रख अमृत भी निकलेगा पर समुद्र मंथन से बहुत कुछ निकलना बाकी है।सपनो का मंजिल मिल गया, कांटो में भी फूल खिल गया।रजनी अजीत सिंह 16.7.2020

11 विचार “सपनो को मंजिल मिल गयी।&rdquo पर;

        1. जी बनारस कवियों लेखक का शहर है शिवप्रसाद सिंह, प्रेमचंद नामवर सिंह जैसे साहित्यकार को जन्म दिया है बस बनारस ने एक और कवयित्री को ला खड़ा किया बस भोले बाबा काशी के वासी पर दया है।

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