परिश्रम ही सफलता की कुंजी है

सबसे पहले मैं ये बता दूँ कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। आज जो मैं लिखने जा रही हूँ वो कोई मन गढ़त कहानी नहीं है न ही मेरी कल्पना की उपज है। वल्कि ये 100%सत्य है।(हौसला)हौसला रखने वालों की कभी हार नहीं होती।चुनौती चुन चुन कर आती है डर जाने से नौका पार नहीं होती।जीवन में जो आये लहर तो कूद लहर काटो।दुनिया चाहे पीछे पड़ी हो लक्ष्य को तुम साधो।लक्ष्य साध जब आते हैं तो दुनिया साथ होती।हौसला रखने वाले की कभी हार नहीं होती।मंजिल पाना हो तो राही चलते ही जाओ।कंकड पत्थर कांटो से तुम हार नहीं जाओ।चलते चलते राही को मंजिल मिल ही जाती।हौसला रखने वाले की कभी हार नहीं होतीअन्त मैं बस इतना ही कहना चाहूंगी कि यदि हर लड़की को मौका दिया जाय तो हर लड़की कुछ न कुछ कर सकती है लेकिन हमारा समाज साथ देने के बजाय टांग खींचने में ज्यादा विश्वास करता है। और हर लड़की को कुछ उपलब्धि हासिल करने के बजाय शादी को ही सबसे बड़ी उपलब्धि मान बैठता है। मां बाप को फर्क भले न पड़े लेकिन समाज को शादी जैसी उपलब्धि दिलाने में, एहसास कराने में, टांग खींचने में समाज का भरपूर योगदान मिलता है। मेरा लिखने का एक मात्र उद्देश्य है समाज को जागरूक करना और उस लड़की या औरत को सहयोग करना जिसके द्वारा हर औरत या लड़की किसी लाइन को चुनकर एक मिसाल कायम करना चाहती हैं। सुना है लेखनी में बहुत शक्ति होती है। शायद मेरी ये लेखनी समाज को जगाने का काम कर जाय और हम जैसे छोटे रचना कारों को भी कुछ उपलब्धि मिल जाय।नोट – मैंने अपने कविता में कंकड़, पत्थर और कांटा को समाज में टांग खींचने वालो के ही अर्थ में किया है। माफी चाहूंगी सब ऐसा नहीं करता है लेकिन जो ऐसा करता है उसको मैं कंकड़, पत्थर और कांटे ही समझती हूं।16.7.2020

इन हंसीन लम्हों के साथ आगे बढ़ती जाओ।दुनिया में ऐसे ही आगे बढते हुए माँ बाप और हम लोगो का नाम रौशन करती ही जाओ।आज मोदी जी के साथ मेरी बहन आईएफस रूचि और आइएएस, आईएफस के ट्रेनिंग मंसूरी का यादगार साथ का पिक।रजनी अजीत सिंह सिंहं