आओ हम बताते हैं दोस्ती कैसे बनाते और निभाते हैं।
नापना चाहते हैं दिल के दरिया को वो जो बरसात में बस मस्ती कर नहाते हैं, वो सहपाठी दोस्त बन बस रह जाते हैं।
खुद से खुद को जवाब दे नहीं पाते हैं,और जब हकीकत से सामना करने में वो जब बात करने में नजरों से नजर मिला नहीं पाते हैं,
वो सोसल प्लेटफॉर्म के दोस्त बन बस सीमित रह जाते हैं जो दिल के धड़कनों से जुड़ा हो चोट खाये एक और दर्द दूसरे को होता है वही सही मायने में जिगरी दोस्त बन जाते हैं।
जिंदगी क्या सिखायेगी दोस्ती के मायने,हम तो अपना उसूल खुद ही बना दोस्ती पर मर मिट जाते हैं।
हम तो अपने मौत का जश्न दुश्मनों के साथ भी मनाते हैं।
सुबह व्यस्तता में रास्ता भूले हों भले ही पर रात दोस्तों के साथ शब्दों को जोड़ यादों में खो जाते हैं।
आओ हम बताते हैं दोस्ती कैसे बनाते और निभाते हैं।
रजनी अजीत सिंह 22.5.2019
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