जो शब्द अधर न कह सके वो दर्द बन के रह गये।
जो दर्द बन के रह गये वो प्यार ही में खो गये।
अब जिदंगी में गम नहीं मेरी हर सांस तेरे प्यार में ही मिल गये।
जो चुप रहें या कुछ कहें ये सोच, बस अरमान बन के रह गये।
जो चुप रहें तो है वफा जो कह दिये तो बेवफा, बेवफा – वफा के खेल में सब बस सीमट के रह गये।
ये प्यार भी क्या चीज है एहसास बन कर रह गये।
न तुम कहो न हम कहें, जो हल कभी न सवाल हो, वो गलत सवाल बन के रह गये।
जो शब्द अधर न कह सके वो दर्द बन के रह गये।
जो दर्द बन के रह गये वो प्यार ही में खो गये।
रजनी अजीत सिंह 18.4.2019
“अनकहे शब्द&rdquo पर एक विचार;
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खूबसूरत रचना।👌👌
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