आँखों में समंदर सा गहराई

इन आँखों में मत देखो झांककर समुदर से भी अधिक गहराई है कभी खुशी है तो कभी गम है।
हर रिस्तों को निभाने का हुनर पाया है अपनी माँ से।
इसे समझौता नहीं प्यार कहते हैं इश्क की लहरों को भी महसूस करते हैं पर हम सागर की सुता हैं बड़े प्यार से हर रिस्तों को निभा हर इश्क की लहरों को बहुत करीब से महसूस कर समुद्र की गहराई में अपने आप में समाहित करने का हुनर रखते हैं।
वर्ना समुद्र मंथन में लक्ष्मी विष्णु की प्रिया बन साथ न होती।
पत्नी पतिबरता बन जब तन मन धन से पूर्ण रूप से समर्पित हो शंकर पार्वती सा सृष्टि का संचालन न करती। कृष्ण की प्रेमिका बन राधा का नाम राधे श्याम, राधेकृष्ण अमर न होता। और प्रेमिका तब बनती है जब सबकुछ त्याग कर वियोगा अवस्था के हद को पार कर जाती है पर संयोगा अवस्था की कल्पना तक नहीं करती सच्चे मायने में यही इश्क, मोहब्बत, और प्यार है साहब मेरे हिसाब से जो कई घरों को आबाद कर दे।
इश्क वो नहीं जो ब्रह्मा सा मानस पुत्री से ही हो जाय और भगवान होते हुये भी पूजा का अधिकार न पाए।
हम तो तुलसी सा बन सदियों सदियों तक अपने प्रेम में पगे भगवान का इंतजार करेंगे और धीरज, धर्म का निर्वहन कर अपने भगवान की प्रेमिका बन मिशाल बनेगें।
रजनी अजीत सिंह 24.3.2019
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5 विचार “आँखों में समंदर सा गहराई&rdquo पर;

  1. हम तो तुलसी सा बन सदियों सदियों तक अपने प्रेम में पगे भगवान का इंतजार करेंगे और धीरज, धर्म का निर्वहन कर अपने भगवान की प्रेमिका बन मिशाल बनेगें।…
    प्रेममय खूबसूरत अभिव्यक्ति।👌👌

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