कभी फुर्सत हो काम से तो हाले दिल सुनाते।
जिंदगी तो बीत रही व्यस्तता में, फिर किसी ने पूछा भी नहीं जो अपनी व्यथा सुनाते।
जिंदगी तो निकल गई सबको खुश रखने की कोशिश में फिर भी सब खुश न हुआ तो कैसे रिस्तों को निभाते।
हमारी खैरियत इसी में थी की सब कुछ देखकर बस मौन ही रह जाते।
पर ये रिश्तों की निभाने की चाहत मौन रहकर भी बहुत कुछ कह जाते।
रजनी अजीत सिंह 18.3.2019