मेरे पास हो तुम

मेरे मन के बहुत पास हो तुम।
मेरे अनकहे हर शब्दों में हो तुम,

मेरे ख्वाबों – ख्यालों में हो तुम,
मेरे हर शब्दों के जज्बातों में हो तुम,
मेरे मन के बहुत पास हो तुम।
सारे सवालों के जवाब हो तुम,
मेरी रूह की अवाज हो तुम,
मेरी जिंदगी के खुशी के आगाज हो तुम,
मेरे मन के बहुत पास हो तुम।
मेरी हर बात को बिन कहे समझने वाले हो तुम,
मेरे आँखों से बहते आँसुओं के रूक जाने के सबब हो तुम,
मेरे प्यार के अनकहे अल्फाज़ हो तुम,
मेरे मन के बहुत पास हो तुम।
मेरे अकेलेपन का सहारा हो तुम,
मेरे हर दर्द का दवा हो तुम,
मेरे हर मर्ज का इलाज हो तुम,
मेरे मन के बहुत पास हो तुम।
जो शब्दों से ब्यां न कर सकूं,
जिस चाहत ने इतनों के भीड़ में अपना दिया,
उस अमीट प्यार के एहसास हो तुम,
मेरे मन के बहुत पास हो तुम।
रजनी अजीत सिंह 9.12.2018