जिदंगी के सफर में दर्द

तेरे साथ सफर में सहा जितना दर्द,क्या वो दर्द काफी नहीं है।
जिदंगी के सफर में अब मुझे दर्द नहीं चाहिए।
मैं बस अब तुम्हें प्यार करना चाहती हूँ,
तुम्हारे चेहरे पर हँसी और जीवन में खुशी ही खुशी देखना चाहती हूँ।
मैं तुम्हें ही नहीं तुम्हारे खुशियों को गले से लगाकर प्यार के एहसास को महसूस करना चाहती हूँ।
मुझे माफ कर दो जो मैंने तुम्हारे प्यार के एहसास को अपने संस्कार के लिए तुम्हें रिस्ते – नाते के तराजू में तोलना चाहा है जो मेरे जिंदा रहने का सहारा बन जाता है।
क्या तुम ये चाहते हो की जो दर्द तुमने महसूस किया है वो दर्द मुझे भी मिलना चाहिए।
सोच के देखो मेरी हलात को मैं परबस हूँ ये दर्द हैऔर तुम कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हो इस लिए तुम्हें खुश हो दर्द को भूल जाना चाहिए।
मैं तो बस इतना जानती हूँ प्यार में बस प्यार होता है मुकाबला नहीं होता।
एक दूसरे की जिंदगी में खुशी लाना होता है जिससे गमों के बादल छट जाएं और एक दूसरे की खुशी में ही प्यार का मुकम्मल जहाँ मिल जाता है जो न कभी आबाद होता है न बर्बाद होता है, होता है तो एक दूसरे के बीच बस प्यार होता है।
रजनी अजीत सिंह 24.10.2018

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