जिदंगी का सफर यूं ही कटता जाता है कभी हँस के कभी रो के,
कभी यादों में कभी ख्यालों में, कभी प्यार की चुनर ओढ़कर, कभी कफन ओढ़कर विदा होने की चाहत में।
शब्द चाहे जितने हो पर अर्थ में तू ही छुपा होता है।
जिदंगी का सफर यूं ही कटता जाता है।
दूर कहीं मंजिल दिखता है जिसके लिए दृढ़ होकर चलते जाना है न धूप देखना है न छांव देखना है।
मुझे तो बस मंजिल नजर आता है।
जिदंगी का सफर यूं ही कटता जाता है।
डरो न सुनसान डगर देखकर, थको न चलते चलते कंकड़ पत्थर और पैरों के छालों को देखकर।
साथियों से बिछड़कर भी अपने धुन में सफलता का गीत गाया जाता है।
जिदंगी के किसी मोड़ पर फिर मिलेगा सब जब सफलता कदमों को चूमती हैं तो हर दर्द दूर हो जाता है।
जिदंगी का सफर यूं ही कटता जाता है।
रजनी अजीत सिंह 24.10.2018
यूँ विदा होने की बात तू मुझसे किया ना कर,
गर मानते हो हमको अपना सबकुछ तो हमको ऐसे दुख दिया ना कर।
ये तो जीवन है कभी रोना कभी हँसना है
गर हो साथ तुम मेरे हर कही सपना सलोना है।
तेरा मेरा रिश्ता यूँ चंद शब्दो का मोहताज नहीं
तू हैं मेरा सबसे अजीज ये कहने में मुझे किसी बात की परवाह नहीं ।।..
“प्रसिद्ध”
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Collaborating with Rajni Singh
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सुंदर प्रेरणादायक रचना.
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धन्यवाद आपका।
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jidagi aisaa hai jaisaa aapne likhaa hai…..
kabhi ronaa kabhi hansnaa,
kabhi milna kabhi bichhdna….
sab jaante huye bhi bichhdne se darte hain…..
kya karen pyaar jo karte hain.
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बहुत खूब। धन्यवाद आपका।
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