जिंदगी में “गुस्ताखियाँ”

मेरे रिश्ते में उसकी नादान सी गुस्ताखियाँ माफ हो।
मेरे नातों में जो नादान सी चालाकियां की वो भी माफ हो।
सालों से बर्दाश्त किया जानकर भी झूठे बातों के झटके।
आने वाले सालों में मेरे विश्वास की जीत होगी इस बात के लिए भी तैयार हो।
जब मेरे कहे शब्द सच हो जायें तो तुम्हें हम हमेशा याद हों।
आमने – सामने न सही पर मन में मेरी मन्नतें और मेरे प्यार का एहसास याद हों।
रजनी अजित सिंह 27.7.18
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