जिंदगी में जब मैं अकेली हो जाऊं,
तो तुम्हारे प्यार का संबल कितना जरूरी होगा।
जब मैं अंधेरे में घिर जाऊँ, तो तुम्हारे प्यार का ज्योति कितना जरूरी होगा।
जो याद आये ओ गुजरे पल, तो टाल सकूं मैं,
तब बहाना बनाना कितना जरूरी होगा।
जो झूलस जाऊँ दुनिया के मिले दर्द से,
तो माँ के आंचल का होना कितना जरूरी होगा।
जो मैं तुम में अगर खो जाऊं, तो तलाश करना कितना जरूरी होगा।
जब धैर्य का मेरा बांध टूट जाये, तो मेरा आँसू बहाना कितना जरूरी होगा।
जब बीच भंवर में नाव फंस जाए, तो किनारा का पाना कितना जरूरी होगा।
जब होगा मेरे सवालों का बौछार, तो जवाब देना कितना जरूरी होगा।
जब तुम्हारे यादों को शब्दों में ढालूं, तो तुम्हारा ख्याल आना कितना जरूरी होगा।
जो भीड़ में मैं अकेली हो जाऊं, तो कुछ अपनों का होना कितना जरूरी होगा।
उदासी से अपने मैं व्याकुल हो जाऊं, तो तेरे बातों से खुश होना कितना जरूरी होगा।
तेरी खामोशियों का जवाब दे सकूँ मैं, तो एहसास का होना कितना जरूरी होगा।
जो देखने को तुझे जी जो चाहे, तो आँखों में तेरी तस्वीर का होना कितना जरूरी होगा।
मंजिल मुझे जब पाना होगा, तो संघर्ष करना कितना जरूरी होगा।
जब ऊब जांऊ अपनी जिंदगी से तो ख्वाहिशों का होना कितना जरूरी होगा।
जब दर्द की दवा खाकर थक जाऊँ, तो रिश्तों में प्यार होना कितना जरूरी होगा।
मौत की नींद में जो अगर सो जाऊँ, तो जगाने को सपनों का होना कितना जरूरी होगा।
थमी सांस में प्राण फिर से आ जाये,
उन कसमों और वादों को निभाना कितना जरूरी होगा।
रजनी अजित सिंह 21.7.18
बहुत खूबसूरत लयबद्ध कविता खूबसूरत संदेश देती हुई।👌👌
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धन्यवाद आपका जो आपने पढ़ा और सराहा ।
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hope you lik it.
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