जिंदगी मायूस हो तो अपने बातों को बताने कहाँ जाएं।
गर मन घबराए तो अपनी घबराहट का वजह ढूंढने कहाँ जाएं।
मेरी बातें याद आयेंगी पर अपनी बातों को समझाने की कला सीखने कहाँ जाएं।
इन आँखों में आँसू क्यों है? तुफान उठ रहा हैऔर विचारों का सैलाब इससे बच जाये वो उम्मीद का सहारा ढूंढने कहा जाएं।
रजनी अजीत सिंह 27.5.18
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