अपेक्षा नहीं हो हमें ओ किसी से।
तमन्ना है मेरी अपेक्षा हो हमको हमें खुद ही से।
कर्मो को करते आगे बढ़े हम न हमको किसी की मद्द की हो चाहत।
लक्ष्यों को पाने की कोशिश करेंगे,
भले चोट खायें पर औरो की मदद की
न चाहत रखेंगे।
जिंदगी की दौड़ में हो हरदम ही आगे, कभी हार न माने ये कोशिश करेंगे।
जिये तो जिये शान से हम हमेशा मौत जो आये तो स्वाभिमानी बने हम जाये जिंदगी से।
अतिंम घड़ी में बस एक ही है अपेक्षा, लेखनी हाथ हो और टूटे फूटे शब्दों से कागज रूपी गगन में स्वछंद विचरण हो।
नहीं हो डर की दुनिया क्या कहेगी, न लाइक कमेंट की चाहत रहेगी हमें उन्मुक्त गगन में उड़ने की कोशिश रहेगी।
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