महीना: मार्च 2018

“” “”””अपेक्षा” “”””

अपेक्षा नहीं हो हमें ओ किसी से।
तमन्ना है मेरी अपेक्षा हो हमको हमें खुद ही से।
कर्मो को करते आगे बढ़े हम न हमको किसी की मद्द की हो चाहत।
लक्ष्यों को पाने की कोशिश करेंगे,
भले चोट खायें पर औरो की मदद की
न चाहत रखेंगे।
जिंदगी की दौड़ में हो हरदम ही आगे, कभी हार न माने ये कोशिश करेंगे।
जिये तो जिये शान से हम हमेशा मौत जो आये तो स्वाभिमानी बने हम जाये जिंदगी से।
अतिंम घड़ी में बस एक ही है अपेक्षा, लेखनी हाथ हो और टूटे फूटे शब्दों से कागज रूपी गगन में स्वछंद विचरण हो।
नहीं हो डर की दुनिया क्या कहेगी, न लाइक कमेंट की चाहत रहेगी हमें उन्मुक्त गगन में उड़ने की कोशिश रहेगी।
#अपेक्षा
#उन्मुक्त
#कोशिश
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जिंदगी में दर्द सहा जाता नहीं।

मन को चैन नहीं
दिल में सूकूं नहीं
आँखों में आँसू नहीं
तेरे प्यार का साथ
इस दर्द में भी रोने देता नहीं
दर्द इतना है कि खुशी से जिंदगी जी सकू
ऐसा हो पाता नहीं।
सौ जन्मों तक मांगा है तेरा साथ
फिर अपने स्वार्थ के लिए
इस जहाँ से जाते बनता नहीं।
मेरे पीड़ा से तुम पीड़ित होगे
इसलिए अब चाहकर भी दर्द सहा जाता नहीं।
सुना है तुम अन्तर्यामी हो माँ फिर मेरे दर्द का दवा क्यों मिलता नहीं।
मेरे कारण मेरे प्राणों से प्रिय साथी का सहयोग रूपी दर्द सहा जाता नहीं।
रजनी अजीत सिंह 16.3.18
#मन
#सूकुं
#दर्द
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जिंदगी में जल संचय का संदेश।

#collab_yqdidi
#waterday
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नमस्ते प्रिय लेखको।

22 मार्च को Water Day के रूप में मनाया गया। हम अक्सर विशेष दिन के लिए किसी प्रयोजन को याद रख पाते हैं मगर उस के बाद अपनी आम ज़िन्दगी में फिर से मसरूफ़ हो जाते हैं कि महत्वपूर्ण बातें हाशिये पर चली जाती हैं।

पानी का सदुपयोग और संरक्षण न केवल हमारा कर्तव्य है बल्कि मानव सभ्यता की सुरक्षा के लिए एक अहम ज़रूरत है। इस विषय पर लेखन challange प्रस्तुत करने के पीछे मक़्सद केवल इतना है कि एक हल्की सी याद बहुत अंदर तक हमें झिंझोड़ देती है।

लिखें और अपने आस पास के जानने वालों को भी अपने उद्देश्य में सम्मिलित करें।

शुभकामनाएँ।

#YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
1 – जल संचय – संचय सब कहे, संचय किया न कोय।
जब संचय की आदत पड़े, सूखा की नौबत काहें को होय।।

2 – वे नर तो धन्य है जो अनावश्यक जल गिराना छोड़ देय।
पर उपकार के कारणे, कम से कम जल उपयोग में लाये।।

3 – नल उतना ही खोलिए, जितना काम बस होय।
कहे “रजनी “अब जल का स्रोत घट्यो, आने वाले दिनों में त्राहि-त्राहि मच जाय।।

4-वर्षा का जल संचय करे,और जब पेड़ पौधा लगाय।
जब जल स्तर बढ़े, तो सूखा काहें को होय।।
रजनी अजीत सिंह 24.3.18
#संचित
#वर्षा

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जिंदगी में रिस्ता का एहसास।

रिस्ता उसी से निभाये जिन रिश्तों में अपनत्व का भाव हो।
रिश्ता बनाना मजाक नहीं कि जब चाहे जोड़ दो जब चाहे नजरअंदाज कर दो।
स्वार्थी इंसान सच्चे रिस्ते और जज्बातों को कभी नहीं समझ सकते।
इसलिए ऐसे रिश्तों को सत् सत् नमन कर दूर रहने की सलाह है। जय माता दी।
रजनी अजीत सिंह 17.3.18
#रिश्ता
#अपनत्व
#सलाह
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जिंदगी में रिश्तों का एहसास।

तुम्हारा हमारा रिश्ता मजबूत कैसे होगा?
जब मेरा दर्द और एहसास ही तुम्हें महसूस नहीं होगा।
जब दर्द का एहसास होगा तभी तो हमारा रिश्ता और दोस्ती मजबूत होगा।
रजनी अजीत सिंह 17.3.18
#रिश्ता
#दर्द
#एहसास
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जिंदगी में अच्छे कार्य की निन्दा।

ये संस्कार, नये जनरेशन और पुराने जनरेशन की गैप की सच्ची कहानी है जो आजकल के बच्चों को शिक्षा या सीखने के लिए कुछ कहो तो ऐसा तर्क प्रस्तुत करते हैं। मैं पुराने ख्यालातों में पली – बड़ी हूँ। बच्चों और रिश्तों के टच में रहने के चक्कर में फेसबुक, वर्डस्सएप पर आयी और लिखने के शौक थे जो मैं 1997से लिखती हूँ तो बच्चों ने कहा ब्लॉग पर लिखिए तो वर्डप्रेस पर आ गयी क्योंकि लगा कि “डायरी मरने के बाद दो चार किलो के भाव बिक जाएगी हो सकता मेरा लिखा सबको को अच्छा लगे और कुछ सीख दे जाय।” अभी वर्डप्रेस पर लिख रही थी कि मेरा सगा बेटा तो नहीं पर बेटे जैसा मेरा भाई जो मेरा सगा भाई भी नहीं पर बेटे से बढ़कर भाई मानती हूँ जो दोस्त की तरह भी है जो मुझे दी का सम्बोधन करता है। उसने YourQuote पर लिखने की सलाह दी कि इस पर कापी राइट मिलेगा और मैं YourQuote par लिखने के बाद वर्डप्रेस पर शेयर करने लगी और तभी
#yqbaba का मैसेज था कि आडियो विडियो द्वारा भी कविता और लेख बना सकते हैं। मैं बहुत खुश हुई।[ एक बात और बताना चाहती हूं मैं “एक पतिव्रता स्त्री हूँ अपने पति के अनुकूल चलने वाली बिना उनकी सहमति के कुछ भी नहीं करती।”] तो नवरात्रि के पहले दिन मैं भजन माँ का बनाया और पब्लिश किया। तो मैं फेसबुक और अपने परिचितों को वर्डस्सएप पर शेयर किया। बहुत लोगों ने तारीफ की और बहुत लोगों ने मजाक उड़ाया। जिसमें से कुछ मेरे पति के मित्र और परिचितों में से हैं। मैं जानती हूँ मेरी अवाज सुरीली नहीं है, न मेरे में लिखने की प्रतिभा है पर मैं अपने शब्दों से समाज में नये और पुराने जनरेशन के बीच की कड़ी बन जीना चाहती हूं और सबको जिंदगी जीना सीखाना चाहती हूं, अपने टूटे फूटे शब्दों के माध्यम से स्वछंद गगन में उड़ना चाहती हूं। सुना है कुछ कर गुजरने का जूनून रहने वाले जो अपाहिज को भी कोई नहीं रोक पाता तो क्या मेरी अवाज आड़े आ सकती है मुझे खुद नहीं पता। अब मैं वर्डप्रेस, YourQuote, और वर्डस्सएप के पाठकों और लेखकों से मेरा अनुरोध है कि कृपया ये बतायें कि मुझे लेखनी के माध्यम से समाज के सामने नये तकनीकी के साथ आना चाहिए या समाज से डरकर सही ज्ञान को बांटने या अपनी लेखनी के शब्दों को सारे सोसल नेटवर्क पर लाने के बजाए सारे सोशल नेटवर्क पर अपने ब्लॉग को डिलीट कर देना चाहिए। मैं बहुत ही उलझन में हूँ कि ये समाज आपत्तिजनक लेख को तो चाव से देखते सुनते हैं और ज्ञान की बातें हजम ही नहीं होती। मैं वर्डप्रेस पर भी हूँ वहाँ भी हमने गंदगी भरे लेख लिखते और पिक लगाते मिल जाते हैं जिसका की मैंने अपनी लेखनी के माध्यम से विरोध भी किया है। वे भी ऐसे लेख जो भारतीय संस्कृति के रिस्ते को शर्मसार कर देता है। यहां मैं मोदी जी से कहना चाहूंगी की गंगा और अनेक सफाई अभियान में कुछ सफाई नेट की दुनिया में भी होनी चाहिए क्योंकि सबकुछ तो आनलाइन है तो सोशल प्लेट फार्म भी साफ सुथरा होना चाहिए। फिलहाल ये तो दूर की बात है। पहले मुझे अपने कमेंट से बताएं कि मुझे आडियो, विडियो के माध्यम से लेखनी चलाना चाहिए कि नहीं।
रजनी अजीत सिंह 20.3.18
#सोशल
#वीडियो
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जिंदगी माँ के ही नाम है।

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#पैगाम
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जिंदगी माँ के ही नाम है।
मां का आया ये पैगाम है।
देने को तो बहुत कुछ दिया।
देने में तो कमी न किया।
जितना “माँ ने दिया है सभी को।
एक टुकड़ा भी डाला नहीं
जिंदगी माँ के ही नाम है।
मां का आया ये पैगाम है।

मां ने दौलत दिया माँ शौहरत दिया।

मां ने गाड़ी दिया माँ ने बंगला दिया है सभी को।

जिंदगी माँ के ही नाम है।

मां का आया ये पैगाम है।

जिंदगी माँ के ही है शरन।

उनको सुख – दुख सुनाते रहे।

जिंदगी माँ के ही नाम है।

मां का आया ये पैगाम है।
रजनी अजीत सिंह 19.3.18

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