जिंदगी में यादों के एहसास। 


याद आये जब तेरी मन की बात कैसे बताएँ।
माना है अपना अपनो से दर्द कैसे छुपायें।
शब्द नहीं मेरे पास पर लेखनी मेरे हाथों में।
मेरे शब्दों का मजाल क्या जो एहसास न कराए।
माना जब तुझको तो रिश्ते अनेक थे।
रिश्ता है तुझसे तो रिश्ते का फर्ज क्यों न निभाएं।
तेरे पर पूरा विश्वास है मन को, पर जब हक न जताया तो कैसे बताएँ।
तेरे मंजिल पाने की हसरत सजाया है हमने।
अब फुर्सत न मिलती तो उदासी क्यों छाये।
मेरे रिश्तों की हकीकत सबने है जाना फिर भी रह गयी मैं तन्हा ये कैसे बताएँ।
रजनी अजीत सिंह 29.11.17।
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5 विचार “जिंदगी में यादों के एहसास। &rdquo पर;

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