तेरे दर पर आये हैं 

[  तर्ज :दिल के अरमा आँसुओं में बह गये।] 

लेके कांवड़ हम तो घर से निकल पड़े। 

गंगा जी आके फिर हम जल भरें।। 

है मुसीबत रास्ते में गम नहीं। 

लेके भोला नाम हम तो निकल पड़े। 

    लेके कांवड़ हम तो घर से निकल पड़े। 

झोली खाली है हमारी कर दया। 

तेरे ही दर्शन को हम तो चल पड़े। 

लेके कांवड़ हम तो घर से निकल पड़े। 

सर पर गंगा जल चढ़ा कर मांगेंगे। 

बाबा दे दो भीख जो भी बन पड़े। 

लेके कांवड़ हम तो घर से निकल पड़े। 

तेरे दर पर आये हैं हम दूर से। 

बाबा तेरी हर नजर हम पर पड़े। 

लेके कावड़ हम तो घर से चल पड़े। 

सोना चांदी हीरा मोती कुछ नहीं। 

ऐसा वर दे सर से दुःख सब टल पड़े। 

लेके कांवर हम तो घर से चल पड़े। 

धूप कितनी तेज है तेरी राहों में। 

काश तेरी रहमतो का फल पड़े। 

लेके कांवर हम तो घर से निकल पड़े।  

                 रजनी सिंह 

9 विचार “तेरे दर पर आये हैं &rdquo पर;

टिप्पणियाँ बंद कर दी गयी है।