गीता का सार

जो भी हुआ, अच्छा हुआ 

जो भी हो रहा है, अच्छा हो रहा है  

जो भी होने वाला है, अच्छा ही होने वाला है, 

तुमने खोया क्या है? तुम रो क्यों रहे हो? 

तुमने कुछ नहीं खोया है, क्योंकि तुम इस संसार में कुछ नहीं लाये थे। 

कुछ भी नाश हुआ है, क्योंकि तुमने कुछ भी सृष्टि नहीं की थी। 

जो भी तुम्हारे पास था, उसे तुमने यही से लिया था। 

जो भी तुमने दे दिया, उसे तुम्हें यहीं से दिया गया था। 

आज तुम्हारा जो भी है, वह किसी और का होगा, 

परसो किसी और का होगा। 

यह परिवर्तन सार्वलौकिक है।  

              रजनी सिंह 

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