जिस्म के जमीन पर इश्क के अशआर लिखे क्यों थे?
जो तुम्हें इश्क जुबां पर लाना ही न था।
हम तो हर सांस तुम्हारे लिए लेते रहे।
और तुमने अपना नाम जाने किसे दे दिया।
मेरे विश्वास का ये हश्र हुआ क्यों है?
जो मेरे दर्द को न समझें वो इस जमीं का खुदा क्यों है?
हकीकत बयान की है आपने…बहुत अच्छा Ma’am.😊😊
पसंद करेंपसंद करें
धन्यवाद आपका।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Bahut sundarta se likha hai….
पसंद करेंपसंद करें
धन्यवाद मधुसूदन जी।
पसंद करेंपसंद करें
बहुत खूब
पसंद करेंपसंद करें
Rajniji aapne bahut khub likha hai
पसंद करेंपसंद करें
धन्यवाद पाखी जी।
पसंद करेंपसंद करें
Welcome☺
पसंद करेंपसंद करें