इश्क 

जिस्म के जमीन पर इश्क के अशआर लिखे क्यों थे? 

जो तुम्हें इश्क जुबां पर लाना ही न था। 

हम तो हर सांस तुम्हारे लिए लेते रहे। 

और तुमने अपना नाम जाने किसे दे दिया। 

मेरे विश्वास का ये हश्र हुआ क्यों है? 

जो मेरे दर्द को न समझें वो इस जमीं का खुदा क्यों है? 

8 विचार “           इश्क &rdquo पर;

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