9.9.16 शुक्रवार
कहीं किसी के मन में चैन नहीं, दिल को सुकून नहीं,
हजारो सवाल है आँखो का, पर जबाव नहीं है बातों का।
कभी कुछ कह के भी, कुछ कह जाता है।
कभी मौन रहे के भी, सता जाती है खामोशी।
कभी अपना होकर भी अपना नहीं, कभी पराया होकर भी अपना लगता है।
कोई सादियो से जीता आया है, कोई एक पल में सदियो जी लेता है।
सारे सवाल का जबाब ‘माँ’ के पास है, सारे बातो का हिसाब ‘भगवान’ है।
‘भगवान’ शिव है राम है, कृष्ण है तो शक्ति (माँ अम्बै, जगदम्बे आदि) माँ है।
प्रकृति का ‘सृजन’ ही शिव-शक्ति से हुआ है,
शिव-शक्ति प्रकृति को चलाने के प्रतीक है।
सीता राम समाज में पति धर्म और पत्नि धर्म के प्रतीक है।
राधा – कृष्ण प्रेम के प्रतीक है।
सारे ‘भगवान’ एक है।
जैसे सारी नदिया सागर में मिलती है,
वैसे ही ‘भगवान’ भी श्रद्धा-भक्ति और विश्वास में मिलते है।
रजनी सिंह
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