जिंदगी रुठ के बैठी है इस बारिश के मौसम में। (6.7.17)

जिंदगी रुठ के बैठी है इस बारिश के मौसम में।

ऐ जिंदगी तू जिंदगी को रूठने ना दे उसे हँस के मना ले इस बारिश के मौसम में ।

बोल भले कड़वा हो, उसे दिल पर न ले वल्कि ह्रदय से लगा ले इस बारिश के मौसम में

सावन के आगमन की खुशी में मेघ उमड़ घुमड़ के हैं बरसते।

कहीं विरहन अँखियाँ जिंदगी से अपने मिलने को हैं तरसती इस बरिश के मौसम में।

इस विरहन के आँखों में तो बारहो मास सावन की झड़ी है।

अब इन आँखों की झड़ी को रोक जिंदगी, जिदंगी से मिलने की ऋतु आयी।

बरखा बहार आई,रूठी जिंदगी को मनाने खुशियां अपार लाई।

विरहन की प्यास बुझी मिलन अब बरखा बहार आई।

धरती पर हरियाली छाई खुशियां ही खुशियां आयी इस वारिश के मौसम में।

58 विचार “जिंदगी रुठ के बैठी है इस बारिश के मौसम में। (6.7.17)&rdquo पर;

  1. दी ये आपके बारिश की धज्जिया उठते हुए software को crack करने पर ही मस्त है। हम खुद समझ नहीं पा रहे हैं कि ये आपके पोस्ट पर क्या कर रहे हैं।

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  2. दी हम समझ नहीं पा रहे हैं कि ये Auto insurance Norwalk CT, car insurance Mankato MN इनकी बातें हमारे समझ से परे हैं। यह कभी साफ्टवेयर के टाॅपिक पर बात कर रहे हैं तो कभी और टाॅपिक्स पर। इसके लिए इन्हें आपकी पोस्ट ही मिली लगता हैं।

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  3. Dexia ha appena annunciato che praevvder&agrove; a tagliare le attività, le operazioni in essere del 35% entro i prossimi 4 anni. I Paesi coinvolti sono Italia (70% di Dexia-Crediop) Spagna e Slovacchia. Cosa accadrà ai bond spazzatura emessi in questi paesi? Affidabili fino alla naturale scadenza se a capitale garantito? E da chi??Chi si comprerà questi rami secchi ? .. Ma non dicevano che il ramo italiano fosse più sano…? letto su Yahoo Uk. Grazie.

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  4. कहीं विरहन अँखियाँ जिंदगी से अपने मिलने को हैं तरसती इस वारिश के मौसम में। 

    इस विरहन के आँखों में तो बारहो मास सावन की झड़ी है। 

    बहुत अच्छी पंक्तियां….बहुत अच्छा लिखा है….👍👍😃

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