योगा दिवस 21.6.17

जितना जीवन के  दिन नहीं उतना  कोई न  कोई  दिवस चला आता है। 

और रुकी हुई लेखनी को कुछ लिखने का बहाना बन जाता है।    ये जीवन में प्राण बन संयम  सीखलाता   है। 

 पर श्रमकराकर योगा बहुत थकाता  है।  

पर जब स्वथ शरीर में फुर्ती आ जाता   है। 

 तो योगा जी को  बहुत भा जाता है। 

     योगा  दिवस के बधाई   के  साथ 

                     रजनी सिंह 

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