मदर्स डे (14.5.17)

माँ   का दिन तो हर दिन है। मेरी तो शुरूआत ही प्रत्येक दिन माँ के चरणों के वंदना से होता है। इसलिए कहना चाहूंगी मदर्स डे इज इवरी डे। ताकि कम से कम समाज में माँ को हर दिन सम्मान मिले और जिनलोगों को  हर दिन भूलकर केवल मदर डे पे माँ की महानता समझ में आता है उन्हें प्रत्येक दिन माँ की महानता को समझने का उपहार मिले और सेवा का अवसर मिले। मैं मदर्स डे पर अपनी माँ और देवी माँ से यही प्रार्थना करूगीं की हर दिन बेटे – बेटी को माँ की गोद मिले और माँ को हर दिन बेटे – बेटी से प्यार मिले। 

  लताओं फूल बरसाओ हमारे माँ का दिन आया। 

ए कोयल मीठे स्वर गाओ हमारे माँ का दिन आया। 

लगी थी आशा सदियों से मिला है आज वो मौका। 

निभाने अपने वादे को पधारी खुद मेरी माता। 

मेरे कष्टों को हरने माँ वो नंगे पांव आयी है। 

करूं कैसे तेरी स्वागत न मन फूला समाता है। 

कहां जाऊँ मैं क्या लाऊँ, समझ कुछ भी न आता है। 

मुझे अपने ही रंग में रंग दो की तेरा मान बढ़ जाए। 

न चाहिए धन दौलत मुझको तुम्हारा प्यार चाहत है। 

मेरे सिर हाथ हो तेरा, यही वरदान चाहत है। 

लताओं फूल बरसाओ हमारे माँ का दिन आया।                            रजनी सिंह 

11 विचार “       मदर्स डे (14.5.17)&rdquo पर;

  1. जो मेरे आँखों में देख मेरे दिल के हर राज़ जान लेती है
    वो मेरी माँ है जो दर्द बढ़ने पर सिने पे हाँथ रख देती है
    उसकी बेपनाह यादों पर मेरी माँ का पहरा है
    उसके दिए हर दर्द के बदले मुझ पर मेरी माँ की दुआ है
    मैं ये नहीं कह रहा जो तूने दिया मुझे दर्द वो बेवफाई है
    मैं जानता हूँ तूने जो भी किया मेरे साथ उसमे तेरी माँ की रज़ा है
    मेरे दिल में तेरे लिए कल भी मोहब्बत थी और हमेशा रहेगी
    बस फर्क इतना है के तेरी यादो को कैद करना है
    अब नहीं देखे जाते मुझसे मेरी माँ के आसूं
    जब वो गिरते है तो हर बार तुझसे नफरत करने की दुआ है

    पसंद करें

    1. माँ के ऊपर कमेंट में इतनी बड़ी कविता सबसे पहले इसके लिए बहुत_बहुत धन्यवाद। जो मेरे आंखों में से लेकर – – – – – – – – – – – – – – – – मां की दुआ है तक तो अर्थ क्लीयर है उसके बाद का अर्थ दो अर्थो को लिए हुए है। जिससे ये पता चलता है कि आप को किसी ने कष्ट – – – – – – – – – – – – – – – -।

      Liked by 1 व्यक्ति

        1. मेरे पर निर्भर करता है मैं कुछ समझ में नहीं आया। आप किस उम्र के हो मुझे नहीं पता पर एक सीख दुंगी नफरत किसी भी चीज से नहीं करनी चाहिए। चार दिन जिंदगी खुशी बांटकर हंसी खुशी से जीना चाहिए और ऐसा करना चाहिए कि मां के आँख में आँसू ही न आये। ठीक कहा न हमने कुछ गलत कहा हो तो बडा या (छोटा) समझकर माफ कर दीजिएगा।

          Liked by 1 व्यक्ति

टिप्पणियाँ बंद कर दी गयी है।