मेरा कर्म सहारा बन जाए मेरे मन में जोश ये भर जाए।
जाति – धर्म की नैया डगमग डोले बीच भँवर में खाए हिचकोले।
मेरा सत्य किनारा बन जाए मेरा दया धर्म ही बन जाए।
मेरा कर्म सहारा बन जाए मेरे मन में जोश ये भर जाए।
इस दुनिया में कोई न अपना जाति धर्म सब झूठा सपना।
मेरा कर्म सहारा बन जाए मेरे मन में जोश ये भर जाए।
घर भीतर है घोर अंधेरा जाति धर्म का लगता नारा।
मेहनत कर दया और ज्ञान का ज्योति जलाएँ हम।
मेरा कर्म सहारा बन जाए मेरे मन में जोश ये भर जाए।
दया सेवा जब धर्म बन जाए, सबकी बिगड़ती बात भी बन जाए।
जाति – धर्म की नैया पार भी लग जाए।
मेरा कर्म सहारा बन जाए मेरे मन में जोश ये भर जाए।
रजनी सिंह
Geeta ka gyan..karm hi dharm hai..very nice Rajni ji..hope there r more people like you..
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Thank you.
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मेरा कर्म सहारा बन जाये बहुत ही खूब लिखा है रजनी जी।
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धन्यवाद गौरव जी।
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जब जब जाति और धर्म ग़रीबों पर हावी होगा—-समंदर में हिचकोले लेगा ही आखिर कृष्ण कितनी बार आएंगे—-हमें तो सुधारना नहीं—–बहुत अच्छा लिखा आपने।
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Thank you Abhay ji.
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Good one!
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