~क्या मिटने वाले बेकार मिट जाते हैं? (26.8.97)

क्या मिटने वाले बेकार मिट जाते हैं?

क्या बेकार जाती हैं उनकी कुर्बानियां? 

क्या तपस्वी की तपस्या वेकार हो जाते हैं? 

क्या झूठ से जीतने वाले हार नहीं जाते हैं? 

क्या असत्य से पराजित होने वाले जीत नहीं जाते हैं? 

क्या फिर असत्य पराजय का मुँह नहीं देख पाते हैं? 

ये कोई प्रमाण दे दे सत्य हमेशा हार जाता है। 

मुझे तो अब तक ये प्रमाण मिल पाया है। 

सत्य का राह कठिन है लेकिन, 

अन्त समय वही मंजिल पाता है। 

जिसने सत्य को गले लगाया, 

जिसने सत्य का राह दिखाया। 

वही मंजिल तक पहुंचाने में राह दिखा पाते हैं। 

            सत्य की राही रजनी सिंह  

18 विचार “~क्या मिटने वाले बेकार मिट जाते हैं? (26.8.97)&rdquo पर;

  1. बहुत खूब, रजनी जी, आज के इस आधुनिक कृत्रिम माहोल में सत्य से कही अधिक नागरिक लाभ के लिए सोचने लगा है। क्षणिक लाभ पूर्ति हेतु वो मर्यादा की लांघने से भी नहीं कतराता। कड़वा पर सनातन सत्य।

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    1. हमारी लेखनी जब जब कुछ लिखती है तो अपने आसपास के घटनाओं से त्रस्त होकर ही लिखता है भले ही वह कल्पना होता है लेकिन वह उसे हकीकत ही बनाना चाहता है। हमारा समाज हम जैसे नागरिक से बना है। जानते हैं हम लोग जो ज्ञान लिखकर या पढकर बांट रहे हैं वो केवल कोरा ज्ञान है जिस दिन अमल करने लगे उस दिन समाज का ही नही वल्कि दुनिया का नक्शा ही कुछ और होगा। है न सही बात।

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