~   जिंदगी में “मिलन” (26.6.200)

गगन और वसुंधरा का मिलन होता नहीं। 
दिवा और निशा का मिलन होता नहीं। 

वैसे ही तेरे नाम से तुझे कोई जीत सकता नहीं। 

लेकिन रात का हठ है कि नाम के साथ – साथ, 

तुझे और तेरा प्यार भी जीत सकती है। 

भले कुर्बान हो जाए जिंदगी तेरे प्यार के लिए। 

भले बर्बाद हो जाय जिंदगी तेरे नाम के लिए। 

भले मिलकर भी न मिले मन, दिल, जान मेरा। 

मगर सागर से भी गहरा है प्यार रात का। 

जीत सकता नहीं है तुझे कोई, उसके लिए दिलो जान हाजिर है। 

मेरे इस गहरा अथाह प्यार का एहसास जब होगा। दो दिल जब एक जान होंगे तो इन्तजार खत्म होगा। 

जब इंतजार खत्म होगा तो समझूंगी मैंने जीत लिया। 

तेरे नाम को जीता है तुझे पाया है, आज दिल को भी जीत लिया है। 

रात को इस बात की है  खुशी जो माँ की कृपा है। 
                  रजनी सिंह 

12 विचार “  ~   जिंदगी में “मिलन” (26.6.200)&rdquo पर;

  1. आपने बहुत अच्छा अर्थ किया है। आप तो मेरे गुरु निकल गये। वैसे ये मेरे शादी के एक साल बाद की रचना है। आज कल की तरह आजादी नहीं थी। उस समय पेजर और उसके बाद मोबाइल का जमाना आया। और हम लोगों ने भी नोकिया की मोबाइल ली थी तब भी बात नहीं हो पाती थी। जमाना कहां से —————।

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