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(कविता)
आँख बचाते हो तो क्या आते हो?
काम हमारा विगड़ गया दिखा रूप जब कभी नया।
कहाँ तुम्हारी महा दया?
क्या – क्या समझाते हो?
आँख बचाते हो।
लीक छोड़कर कहाँ चलू?
दाने के विना क्या तलू?
फूला जब नहीं क्या फलूँ?
क्या हाथ बटाते हो?
आँख बचाते हो।
गलती की माफ़ी , समझाना पड़ेगा 👌
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