सब खुशियां मना रहा है।
नया वर्ष मना रहा है, कहने को तो दिखावे में मैं भी खुशियां मना रही हूँ।
पर ऐ दिल जरा तू बता
क्या रात खुशियां मना रही है ।
सुना है दिल जो कहता है वो सच होता है।
लेकिन मुझे तो अपने दिल की बात भी झूठा लगता है।
क्यों कि दिल में नाना प्रकार की बातों का घर है।
जैसे मान, सम्मान अपमान इन सब बातों को चाहकर भी दिल नहीं भूला पाता है।
क्यों कि ये दिल है, दिल बड़ा कोमल होता है।
दिल को कुछ न कुछ लग ही जाता है।
मै दिल से पूछकर क्या बेवफाई कर रही हूं।
हां क्यों कि ऐ दिल तू खुद बेवफा हो,
तुम कभी साथ नहीं देती।
कभी कुछ कहती हो, कभी कुछ कहती हो।
कभी चुप रहती हो, कभी बोलती हो।
कभी गाती हो, कभी आँसू बहाती हो।
अब दिल का गिरगिट की तरह रंग बदलना वफा न होगा।
इस लिए ऐ दिल तुझे मैं छोड़ती हूँ।
और मन से दोस्ती कर लेती हूँ।
क्यों कि मन बड़ा पवित्र होता है।
जिसे मैं छोड़ नहीं सकती हूँ।
रजनी सिंह
उत्तम
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धन्यवाद आपका।
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Thanks bhai padhane.aur jankari dene ke liye .kya WordPress ka email change ho sakta hai W. P mere office ka email ld dala hai
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Mam ap email check kr skte hai sath m ap phone app le skti h WordPress ka
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Bhut khoobsurat mam
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सारी तो नही पर हाँ कोशिश करता हूँ जितनी पढ़ जाए
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जी क्यों नही , पढ़ने से मुझे भी तो कुछ सीखने को मिलता है और आपने इतनी महनत से इतनी अच्छी कविता जो लिखी है !🤗
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प्रोत्साहित भी करते हैं। उसके लिए धन्यवाद।
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सटीक ,शानदार पोस्ट
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आप मेरी सारी कविता पढते हैं, और पप्र
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