आज का दिन (अर्थात 1.1.2012का नया साल) 

सब खुशियां मना रहा है। 

नया वर्ष मना रहा है, कहने को तो दिखावे में मैं भी खुशियां मना रही हूँ। 

पर ऐ दिल जरा तू बता 

क्या रात खुशियां मना रही है ।

सुना है दिल जो कहता है वो सच होता है। 

लेकिन मुझे तो अपने दिल की बात भी झूठा लगता है। 

क्यों कि दिल में नाना प्रकार की बातों का घर है। 

जैसे मान, सम्मान अपमान इन सब बातों को चाहकर भी दिल नहीं भूला पाता है। 

क्यों कि ये दिल है, दिल बड़ा कोमल होता है। 

दिल को कुछ न कुछ लग ही जाता है। 

मै दिल से पूछकर क्या बेवफाई कर रही हूं। 

हां क्यों कि ऐ दिल तू खुद बेवफा हो, 

तुम कभी साथ नहीं देती। 

कभी कुछ कहती हो, कभी कुछ कहती हो। 

कभी चुप रहती हो, कभी बोलती हो। 

कभी गाती हो, कभी आँसू बहाती हो। 

अब दिल का गिरगिट की तरह रंग बदलना वफा न होगा। 

इस लिए ऐ दिल तुझे मैं छोड़ती हूँ। 

और मन से दोस्ती कर लेती हूँ। 

क्यों कि मन बड़ा पवित्र होता है। 

जिसे मैं छोड़ नहीं सकती हूँ। 

                     रजनी सिंह 

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