महीना: जनवरी 2017

~जिंदगी कीआशा(2.10.97)

आशा की किरण छिप सा गया है, लेकिन अन्धेरा में रौशनी की किरण बाकी है।
जीवन की आशा अपूर्ण सी लगती है, लेकिन जीवन की लालसा बाकी है।

प्यार पाने की आशा में सब कुछ खो गया, लेकिन स्नेह पाने लालसा बाकी है।

सब कुछ खोने के बाद भी, कुछ पाने की चाह होती है।

जिन्दगी लूट जाती है, फिर भी जीने की राह होती है।

कोई कहता है जिंदगी बनाने से बनती है,

कोई कहता है जिंदगी विधाता की देन होती है।

लकीन ये जिंदगी न बनाने से बनती है, और न जिंदगी जीने का ढंग विधाता की देन होती है।
जिंदगी अपना निर्माण अपने किये कर्म, पाप – पुण्य से करती है।

रजनी सिंह

~”जिंदगी “के आँखों में आँसू 

आँखों में आँसू भी न बहे, न शिकवा न शिकायत। 
अब तो जिन्दगी तू बता जिंदगी कैसे जीए। 

हर पल हर क्षण रोके जीए, हर पल हर क्षण मुंह सी के जीए। 

हर पल हर क्षण सम्मान गंवा के जीए। 

जिंदगी बचाने वाले तुम्हीं बताओ जिंदगी कैसे जीए। 

क्या अब जिंदा लाश बनकर जीए अगर जिंदा लाश बन गई तो रात का आस्तित्व क्या है? 

अब क्या अस्तित्व मिटा कर जीए। 

मेरे जिंदगी ने कहा “ऐ रात जरा सुन, ना तू  मुँह सी के जी न रो के जी। 

तू मस्त मुस्कुरा के जी, क्योंकि तेरा दिल जीतने वाला अजीत  तेरे पास है। 

और तू मन से मन मिलाकर मन की पवित्रता बनाकर जी।” 

                         रजनी सिंह 

 ~जिंदगी अजीब है 

जिंदगी अजीब सी है इसके रंग भी अजीब है।
कोई कंही हँसता है, कोई कहीं रोता है।

किसी का साथ जन्मों का है, कोई पल में विछड़ जाता है।

जिंदगी हम पर इतना रहम कर, रोते को हँसा सकूं।

किसी का दुख देखूँ , तो उसके साथ में साथ निभा संकू।

बस बड़ी सी ख्वाहिश है सारे जगत को अपना बना लें।

जीते जिंदगी में भले ही पीछे – पीछे रहें।

पर मरने पर अंतिम विदाई में, सारी दुनिया की रैली मेरे साथ खड़ी हो।

उनके दिलो में बस प्यार ही प्यार ही प्यार हो।

मेरे कर्मो का ऐसा शिला देना, जाने के बाद भी मेरे नाम के साथ दूर – दूर तक नफरतो का वास्ता न हो।

दोस्तों के साथ – साथ दुश्मनों की भी आँखें नम हों।

हे माँ मेरे कर्मो का बस इतना शिला देना।

रजनी सिंह

लिखने वाले तू होके—।”भजन  “

लिखने वाले तू हो के दयाल लिख दे, 

मेरे मईया के दिल पे मेरा’प्यार ‘लिख दे। 2

साथ छूटे ना मईया रुठे ना-2 

लिखने वाले तू हो के दयाल लिख दे। – 2 

मेरे साजन दिल पर, मेरा प्यार लिख दे – 2   

साथ छूटे साजन रुठे ना-2

लिखने वाले तू हो के दयाल लिख दे-2

मेरे भाई के मन में मेरा प्यार लिख दे – 2

साथ छूटे भाई रुठे ना-2

लिखने वाले तू हो के दयाल लिख दे – 2   

मेरे मईया के दिल में – – – – – – – – 2 

लिखने वाले तू हो के दयाल लिख दे – 2

मेरे बहनों (मेरे दोस्तों) के मन में मेरा प्यार लिख दे – 2

बहना रुठे ना, दोस्त छूटे ना – 2

लिखने वाले तू हो के दयाल लिख दे 2

सारी दुनिया के मन में  पैगाम लिख दे-2

दुनिया छूटे ना, सब रुठे ना-2

लिखने वाले तू हो के दयाल लिख दे। 

मेरे मईया के दिल पे मेरा’प्यार लिख दे। 

                         रजनी  सिंह 

ओमपुरी को श्रद्धांजलि सुमन 

ओमपुरी को श्रद्धांजलि सुमन 

ॐपुरी की कहानी सुनानी है जुबानी।

दुनिया में इनका आना अम्बाला हुआ।

पद्मश्री पुरस्कार विजेता थे।

दिल का दौरा पड़ने से अब दुनिया में रहे नहीं।

66साल के उम्र में ही निधन इनका हो गया।

इन्होंने शिक्षा पटियाला में पायी थी।
फिल्मों का सफर ‘घासीराम’ से शुरू हुई।

‘आक्रोश ‘फिल्म जब हीट हुई।

कैरियर इनकी भी फीट हुई।

इस प्यार को क्या नाम दूं

चुपके – चुपके सब सेट हुआ।

इनके जाने से दीवाने पागल हुए।

“क्यों हो गया न”दुख इतना।

काश आप हमारे बीच होते।

“तेरे प्यार की कसम “खाकरके।

रजनी श्रद्धा सुमन चढाती है।

इस धरती की मिट्टी कहती है।

ओमपुरी जी आपको

सलाम।

रजनी सिंह

~”जिंदगी “में अपने को छोड़ने का दर्द

जिंदगी में  अपने को छोड़ने का दर्द भी  सहने का हुनर आना चाहिए। 

सुखी से सब जी लेता है, दुखी होकर भी  जीने की कला आनी चाहिए। 

आज कोई नयी बात नहीं है, “जिदंगी में जब कभी किसी  को अपना बनायी ।

आँसू, दर्द और गम के  सिवा कुछ न मिला। 

ये मेरा नसीब है कि तुमसा” अच्छा” परिवार मिला। 

और ये तुम्हारी फूटी तकदीर है, कि मुझसा पागल इंसान मिला। 

अपनी – अपनी किस्मत होती है, जो अपने किये कर्म से  मिलती है। 

तुलसी  दास ने  ठीक ही

 कहा है  कि- “कर्म प्रधान विश्व रचि राखा,  जो जस करई सो तस फल चाखा।। 

                            रजनी सिंह 

 

~ जिंदगी में माँकोश्रद्धांजलि

जाने से  पहले कुछ तो  कही होती, 

साथ न सही बातें तो साथ होती।  

शिकायत  भी नहीं कर  सकती, 

कुछ खामियां  मुझमें ही थी। 

खामियों  को  सोचकर दिल परेशान है होता । 

जाने  से पहले कुछ तो सोचा होता, 

शायद सोचा  होता, तो जाने का अवसर  नहीं आया होता। 

ये अवसर  तो आना ही था, रजनी  के लिए अंधेरा बनकर। 

अफशोश “जिदंगी” में “रात” कमी बनकर खलती रही, 

खली है, खलेगी  , और खलती रहेगी। 

जिस प्यार को अपना कहने के खातिर, भुलाया, ठुकराया, गंवाया है प्यार। 
अब न प्यार ही रहा न तू ही रही। 

जननी बनकर जब तू ही न समझ सकी रात  को। 

“रात  “होकर भी अंधेरे में दिल के दीए को जला रौशनी है किया। 
ताकी सब सुखी के साथ निद्रा में ही आराम का एहसास करे। 

वर्ना ये आराम शब्द का एहसास किसने किया होता। 

                               मां की

                                               रजनी 

 “जिदंगी” (गाना)

जिंदगी माँ के ही नाम हैऽऽऽऽ।
मां का आया ये पैगाम है ऽऽऽऽ।
देने को तो बहुत कुछ दिया ऽऽऽऽ।

देने में तो कमी न किया ऽऽऽऽ।
जितना “माँ ने दिया है सभी कोऽऽऽऽ।
एक टुकड़ा भी डाला नहीं ऽऽऽऽ।


जिंदगी माँ के———।

मां का आया ये पैगाम है ऽऽऽऽ।

मां ने दौलत दिया माँ शौहरत दिया ऽऽऽऽ।

मां ने गाड़ी दिया माँ ने बंगला दिया है सभी को ऽऽऽऽ।

जिंदगी माँ के ही नाम है ऽऽऽऽ।

मां का आया ये पैगाम है ऽऽऽऽ

जिंदगी माँ के ही है शरनऽऽऽऽ।

उनको सुख – दुख सुनाते रहे ऽऽऽऽ।

जिंदगी माँ के ही नाम है ऽऽऽऽ।

मां का आया ये पैगाम है ऽऽऽऽ।

~”प्यार का एहसास” 

“रजनी ” दिलो जान से तुम्हें प्यार करती है। 

न चाहकर भी जब नाराज होती हूँ, तुम्हें नाराज करती  हूँ। 

उस पल मैं कैसे जीती हूँ दिल ही जानता है। 

काश इस “एहसास” को दिलवर समझ पाते। 

दिलवर ने जब इस एहसास को समझा। 

तो दिल में हजारों रंग सज गए। 

दो दिल एक जान हुए तो, दुनिया  की हर खुशी मिल गयी। 

जब एक दूसरे के सुख-दुख को समझा। 

एक नया प्यार का  एहसास “हो गया। 

तो मूझे लगा प्यार का” पारस”मिल गया। 

:रजनी 

~प्यार के दर्द की दवा क्या?  

~प्यार के दर्द की दवा क्या?  

 प्यार के दर्द की दवा प्यार है, एहसास है।
जिस दिन मेरे दर्द का एहसास होगा।

उस दिन तेरे प्यार में नमीआ जाएगा। 

जिससे तू मेरे जख्मों पर मरह दे जाएगा। 

और तेरे प्यार में गहराई आ जाएगा। 

जिस दिन तेरे प्यार में गहराई आ जाएगा। 

तू मेरा प्यार समझ जाएगा। 

प्यार लुटाने का नाम है, लुटने का नहीं। 

काश वो दिन आ जाए, जब तेरे दिल में 

मेरे प्यार की समझ आ जाए। 

तेरे प्यार की समझ ही, मेरे दर्द का मरहम है। 


                         रजनी