जिंदगी के आखिरी क्षणों में दुनिया के लिए कुछ सन्देश है।
जिंदगी जीना है तो अपने लिए जियो।
जिंदगी में कुछ करना है तो अपने स्वास्थ्य के लिए करो।
क्यों कि स्वास्थ्य नहीं तो कुछ भी नहीं।
मतलब की इस दुनिया में जब शरीर लाचार होता है तो कोई भी साथ नहीं।
बेटे – बेटी तब तक साथ हैं जब तक शरीर में कुछ करने की ताकत है।
परिवार तब तक साथ है जब तक सेवा करने की ताकत है।
जिस दिन स्वास्थ्य सही नहीं रहता सब रिस्ता दामन छुड़ा लेता है।
उम्र कोई भी हो स्वस्थ शरीर ने दामन छोड़ा नहीं।
की अपनो की क्या बात करूं।
मौत भी नहीं पूछती मारने के लिए।
और अंतिम क्षणों में रह जाता है तो।
बस मृत सैया पर पड़े मौत का इंतजार।
क्यों कि सब इंतजार खत्म हो जाता है।
साथ देगा तो बस मृत्यु सैया।
किसी के गले की हार बनने से अच्छा मौत गले की हार बने।
रजनी सिंह
Ekdam sach. Apni sehat sahi tho har rishta saath hai varna kuch nahi. Zindagi apne liye jiyo. Jab hum apne liye jeete hai tab apne aap hi auro ke liye bhi sochte hai. Sunder.
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धन्यवाद आपका जो आपने पढ़ा और समझा और सराहा।
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आपका ब्लॉग तो खाली है। ऐसा क्यों? क्या पढ़ने के लिए ब्लॉग बनाया है।
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वाह बहुत खूब
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धन्यवाद आपका।
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धन्यवाद अजय जी
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अच्छा संदेश 👍💐
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बहुत शानदार
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