~आँखों में डर कैसा? 

तुम्हारे आँखों में डर कैसा? 

जिंदगी तो जीते हो, पर जीने का हुनर कैसा? 

होठों पर जब सच्चाई  होती है, 

तो इस पर खुशी की मुस्कुराहट होती है। 
फिर तुम्हारे आँखों में डर कैसा? 

जब चेहरे पर चिंता होती है, 

तो माथे पर बल कैसा? 

क्या तुम अपने माथे के बल का राज बताओगे?

प्यार जब होता है तकदीर  से होता है। 

तकदीर न अमीर होता है न गरीब होता है। 

फिर तुम्हारे आँखों में डर कैसा? 

प्यार एक एहसास है इसे लफ्जों से बंया नहीं करते। 

ये तुम्हारा दिल नहीं है, जो जब चाहे लगा लिया। 
और जब चाहे भुला दिया। 

ये प्यार है तुम्हारा दिल नहीं। 

प्यार जब हो ही गया तब पर्दा  कैसा? 

फिर तुम्हारे आँखों में डर कैसा? 

                 रजनी सिंह 

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