सपना कभी अपना नहीं होता।
ये सपना तो सपना है, लेकिन यहाँ अपना भी,
अपना नहीं होता।
जागते लोग भी देख लेते हैं सपना।
नींद में देखने की बात ही निराली है।
बेगानो की बात करें तो कोई बेगाना होकर भी अपना लगता है।
कोई अपना होकर भी बेगाना लगता है।
कोई बेवफा होकर भी वफा की तलाश करता है।
कोई वफा करके भी बेवफा बन जाता है।
ये जिंदगी है, इसके रंग भी अजूबे है।
सपना कभी किसी के जिंदगी में खुशी की दस्तक देती है,
तो वो सब कुछ गंवाकर मरना चाहता है।
सपने में कभी किसी को मौत ने लाखो बार मारना चाहा है।
तो भी वह सब कुछ भुलाकर, खुशी बांटकर जीना चाहता है।
सपना- सपना कैसा – कैसा सपना ?
सपना कैसा दिखता है? इसका वर्णन करना ही मुश्किल लगता है।
रजनी सिंह
ब्यूटीफुल
पसंद करेंपसंद करें
धन्यवाद आपका।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
😊😊😊😊
पसंद करेंपसंद करें
गंभीरता लिए हुए, गहरे भाव सहित आप की कविता
पसंद करेंपसंद करें
धन्यवाद आपका पढ़ने के लिए। आगे भी पढ़ते रहिये। कुछ नया संदेश भी है।
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति